वाराणसी। चना-चबेना गंगजल वाले बनारस को अब जंक फूड और तेल-मसाले वाला भोजन भा रहा है. यही कारण है कि पूर्वांचल में बनारसी सबसे मोटे होते जा रहे हैं. बीएचयू के मेडिसिनल केमिस्ट्री के शोधार्थी के अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है. पांच जिलों के अध्ययन में पता चला कि मिर्जापुर के लोग इस मामले में सबसे फिट हैं. उनके बाद गाजीपुर और जौनपुर का नंबर है. मेडिसिनल केमिस्ट्री में पीएचडी कर चुके डॉ. मनोज शुक्ला ने जंतु विज्ञान विभाग के शोधछात्र प्रज्जवल प्रताप सिंह के साथ मिलकर यह अध्ययन किया है. दोनों ने पूर्वांचल के पांच जिलों (वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली और मिर्जापुर) के 581 लोगों का ट्राइग्लिसराइड सैंपल लिया. जांच में पता चला कि बनारस के लोगों में टाइग्लिसराइड सबसे ज्यादा है. इसका अर्थ है कि उनके रक्त में वसा (फैट) की मात्रा ज्यादा है.
एक स्वस्थ व्यक्ति का ट्राइग्लिसराइड 200 प्वाइंट तक होना चाहिए जबकि बनारस के लोगों का ट्राइग्लिसराइड औसतन 400 प्वाइंट के आसपास है. कुछ ऐसे भी मिले जिनमें यह 800 तक मिला. इस हिसाब से मिर्जापुर के लोग सबसे स्वस्थ हैं. डॉ. मनोज शुक्ला ने बताया कि बनारस की तेजी से बदली खानपान की संस्कृति इसके लिए जिम्मेदार है. बनारसी लोग पहले से ही मिठाइयों, कचौड़ी-जलेबी और चाट की शौकीन हैं. जंक फूड और पिज्जा-बर्गर जैसे पाश्चात्य खाद्य पदार्थों ने खून में वसा की मात्रा में बढ़ोतरी कर रही है. मिर्जापुर और गाजीपुर जैसे जिलों में ट्राइग्लिसराइड कम होने का कारण वहां अब भी मौजूद देशज रहन-सहन है. उन्होंने बताया कि इस शोध के निर्देशक प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी और प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे हैं.
दरअसल, ट्राइग्लिसराइड रक्त में घुली वसा को कहते हैं. इससे मानव शरीर की धमनियां और नसें भी बनती हैं. खून में इसकी मात्रा ज्यादा होने से नसें मोटी हो जाती हैं और उनमें रक्त प्रवाह की जगह कम हो जाती है. ऐसे में दिल का ज्यादा काम करना पड़ा है. यह रक्तचाप, दिल की सूजन, जल्दी थकान होना, सांस फूलना जैसी परेशानियों का कारण बनता है. अध्ययन में पुरुषों के साथ ही महिलाओं के भी सैंपल इकट्ठा किए गए जिसमें चौंकाने वाली जानकारी मिली. महिलाएं पुरुषों से ज्यादा फिट हैं. जांच में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं 50 फीसदी तक ज्यादा फिट मिलीं. उनके खून में वसा की मात्रा सामान्य के आसपास थी. अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक इसमें अपवाद भी मिले.
डॉ. मनोज शुक्ला और प्रज्ज्वल प्रताप सिंह ने बताया कि इस समस्या में सुधार दिनचर्या और खानपान दुरुस्त करने से होगा. भोजन में हरी सब्जियां, फल और एंटी ऑक्सिडेंट जरूर होने चाहिए. ट्राइग्लिसराइड का बढ़ा हुआ स्तर कम करने के लिए लोगों को शारीरिक श्रम के साथ ही चिकनाई वाले पदार्थों से बचना होगा. शरीर में ट्राइग्लिसराइड का स्तर बढ़ाने के जिम्मेदार कई खाद्य पदार्थ हैं. पिज्जा-बर्गर से लेकर चटनी के तौर पर इस्तेमाल होने वाली मेयोनीज, क्रीम भी हैं. मगर आश्चर्यजनक रूप से समोसा ट्राइग्लिसराइड सबसे ज्यादा बढ़ाता है. अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि आलू, मैदा और खराब क्वालिटी का तेल इसके जिम्मेदार हैं.
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