आजमगढ़ : धान की पराली को जलायें, नहीं बल्कि उसको सड़ाकर खाद के रूप में प्रयोग करें – उप कृषि निदेशक

प्रेस नोट

आजमगढ़ 11 नवम्बर– माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा आ0ए0सं0 21/2014 वर्धमान कौशिक बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया व अन्य एवं ओ0ए0 सं0-11822013 विक्रान्त कुमार तोगड़ बनाम एन्वायरमेन्ट पल्यूशन (प्रिन्वेशन कन्ट्रोल) अथारिटी व अन्य के अन्तर्गत पारित आदेशों के क्रम में उप कृषि निदेशक श्री मुकेश कुमार द्वारा जनपद के समस्त कृषक बन्धुओं से अनुरोध किया गया है कि वह धान की पराली को जलायें, नहीं बल्कि उसको सड़ाकर खाद के रूप में प्रयोग करें, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहे उक्त के अतिरिक्त धान कटाई में प्रयोग किये जा रहे कम्बाईन हार्वेस्टिंग मशीन के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम, स्ट्रारीपर, स्ट्रारेक अथवा बेलर अनिवार्य रूप से प्रयोग करें।

उन्होने यह भी बताया है कि इसका परिपालन न करने वाले कम्बाईन हार्वेस्टर मालिकों के विरूद्ध यंत्र सीजर की कार्यवाही प्रशासन द्वारा की जायेगी तथा पराली प्रबन्धन के यंत्रों को उनके व्यय पर इन्स्टाल कराये जाने के उपरान्त ही छोड़ा जायेगा, साथ ही कृषि अपशिष्टों को जलाने वाले दोषी व्यक्तियों को माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के क्रम में पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति हेतु नियमानुसार अर्थदण्ड देना पडे़गा। उन्होने बताया कि कृषि भूमि का क्षेत्रफल दो एकड़ से कम होने की दशा में रू0-2500 प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्रफल दो एकड़ से अधिक किन्तु पाँच एकड़ तक होने की दशा में रू0-5000 प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्रफल पाँच एकड़ से अधिक होने की दशा में रू0-15000 प्रति घटना अर्थदण्उ देय होगा।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम की धारा-24 के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति वसूली एवं धारा-26 के अन्तर्गत उल्लंघन की पुनरावृत्ति होने पर सम्बन्धित के विरूद्ध अर्थदण्ड लगाये जाने के सम्बन्ध में कार्यवाही की जायेगी।

 

——-जि0सू0का0 आजमगढ़-11.11.2022——–