नोट
आजमगढ़ 16 मार्च– जिलाधिकारी श्री विशाल भारद्वाज ने बताया है कि ग्रीष्म ऋतु में लू (हीट स्ट्रोक)/गर्म हवाओं से बचाव हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश जनहित में जारी लू (हीट स्ट्रोक)- भारतीय व अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार है। जिसके अन्तर्गत भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जब किसी जगह का स्थानीय तापमान लगातार 03 दिन तक वहां के सामान्य तापमान से 03 डिग्री0से0 या अधिक बना रहे, तो उसे लू या हीट वेव कहते है। विश्व मौसम संघ मे अनुसार यदि किसी स्थान का तापमान लगातार 05 दिन तक सामान्य स्थानीय तापमान से 05 डिग्री0से0 अधिक बना रहे अथवा लगातार 02 दिन तक 45 डिग्री0से0 से अधिक का तापमान बना रहे तो हीट वेव या लू कहते हैं।
जब वातावरणिय तापमान 37 डिग्री0से0 तक रहता है तो मानव शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है, जैसे ही तापमान 37 डिग्री0से0 से ऊपर बढ़ता है तो हमारा शरीर वातावरणीय गर्मी को शोषित कर शरीर के तापमान को प्रभावित करने लगता है, गर्मी में सबसे बड़ी समस्या होती है, लू लगना। अंग्रेजी में इसे (हीट स्ट्रोक) या सन स्ट्रोक कहते हैं। गर्मी में उच्च तापमान में ज्यादा देर तक रहने से या गर्म हवा के झोकों के सम्पर्क में आने पर लू लगती है।
उन्होने बताया कि गर्मी में शरीर के द्रव्य बाडी फल्यूड सुखने लगती है। शरीर से पानी, नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। निम्न स्थितियों में लू लगने की सम्भावना अधिक रहती है। जैसे शराब की लत, हृदय रोग, पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किंसंस रोग, अधिक उम्र अनियंत्रित मधुमेह, डाययूरेटिक, एंटीस्टिमिनिक, मानसिक रोग की कुछ औषधियों का प्रयोग करने वाले व्यक्ति प्रभावित हो सकते हैं। हीट स्ट्रोक के लक्षण में गर्म, लाल, शुष्क त्वचा का होना, गर्मी लगना किन्तु पसीना न आना, गर्मी के कारण पल्स का तीव्र होना, उथले श्वास गति में तेजी, गर्मी के कारण असामान्य व्यवहार करना अथवा भ्रम की स्थिति को अनुभव करना। सिरदर्द, मितली, थकान और कमजोरी होना तथा चक्कर आना। प्रर्याप्त मात्रा में मुत्र विसर्जन न होना आदि। उपरोक्त लक्षणों के चलते मनुष्यों के शरीर में उच्च तापमान से शरीर के आंतरिक अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है तथा उच्च रक्त चाप बना रहता है। हृदय की सामान्य कार्य क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव होना है। एक या दो घंटे से अधिक समय तक 40.6 डिग्री0से0 या अधिक तापमान अथवा गर्म हवा की दशा में, उनके मस्तिष्क में नकारात्मक प्रभाव की संभावना प्रबल हो जाती है।
उन्होने बताया कि हीट स्ट्रोक से बचने हेतु हीट वेव की स्थिति शरीर की कार्य प्रणाली पर प्रभाव डालती है, जिससे मृत्यु भी हो सकती है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए प्रचार माध्यमों पर हीट वेव/लू की चेतावनी पर ध्यान दें। अधिक से अधिक पानी पीयें, यदि प्यास न लगी हो तब भी। पसीना शोषित करने वाले हल्के रंग के वस्त्र पहनें। धुप के चश्में, छाता, टोपी व चप्पल का प्रयोग करें। अगर आप खुले में कार्य करते हैं तो सिर चेहरा, हाथ पैरों को गीले कपड़े से ढके रहें तथा छाते का प्रयोग करें। लू से प्रभावित व्यक्ति को छाया में लिटाकर सूती गीले कपड़े से पोछें अथवा नहलायें तथा चिकित्सक से संपर्क करें। यात्रा करते समय पीने का पानी साथ ले जायें। ओ०आर०एस०, घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी (माड़), नीबू पानी, छाछ आदि का उपयोग करें, जिससे शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके। हीट स्ट्रोक, हीट रैश, हीट कैम्प के लक्षणों जैसे कमजोरी, चक्कर आना, सर दर्द, उबकाई, पसीना आना, मुर्छा आदि को पहचाने। यदि मुर्छा या बीमारी अनुभव करते हैं तो तुरन्त चिकित्सीय सलाह लें। अपने घर को ठण्डा रखें, परदे, दरवाजे आदि का उपयोग करें तथा शाम/रात के समय घर तथा कमरों को ठण्डा करने हेतु इसे खोल दें। पंखे, गीले कपड़ों का उपयोग करें तथा बारम्बार स्नान करें। कार्य स्थल पर ठण्डे पीने का पानी रखें/उपलब्ध करायें। कार्मिकों/कर्मचारियों/मजदूरों को सूर्य के सीधे सम्पर्क से बचने हेतु सावधान करें। श्रमसाध्य कार्यों को ठण्डे समय में करने/कराने का प्रयास करें। घर से बाहर होने की स्थिति में आराम करने की समयावधि तथा आवृत्ति को बढ़ायें। गर्भस्थ महिला कर्मियों तथा रोग ग्रस्त कर्मियों पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि इस दौरान जानवरों एवं बच्चों को कभी भी बन्द/खड़ी गाड़ियों में अकेला न छोड़ें। दोपहर 12ः00 से 03ः00 बजे के मध्य सूर्य की रोशनी में जाने से बचें, सूर्य के ताप से बचने के लिए जहां तक संभव हो, घर के निचली मंजिल पर रहें। गहरे रंग के भारी तथा तंग कपड़े न पहनें। जब बाहर का तापमान अधिक हो तब श्रमसाध्य कार्य न करें। अधिक प्रोटीन तथा बासी एवं संक्रमित खाद्य एवं पेय पदार्थों का प्रयोग न करें। अल्कोहल, चाय व काफी पीने से परहेज करें। आकाशवाणी/एफ.एम. रेडियो चैनल आकाशवाणी/एफ.एम. रेडियो चैनल पर समय-समय पर आर.जे. के माध्यम से उपरोक्त बिन्दुओं के अनुसार लू से बचाव हेतु जन समुदाय को जागरूक करें।
——-जि0सू0का0 आजमगढ़-16.03.2023——–