चमगादड़ों और खतरनाक वायरसों की एक्सपर्ट शी जेंगली ने दी चौंकाने वाली जानकारी

बीजिंग। दुनिया कोरोना से परेशान है, इससे हुए आर्थिक, सामाजिक और मानसिक नुकसान का हिसाब किताब लगाने में व्यस्त है। कई देश तो अभी भी कोरोना से दहशत में है, वहां जनजीवन अस्त व्यस्त पड़ा हुआ है। सामान्य तरीके से चल रही जिंदगी का पहिया एकदम से ठहर गया है। अब उसको फिर से रफ्तार देने की कोशिश शुरू हो रही है। इस बीच चीन से एक और हैरान करने वाली खबर है। इसको जानने के बाद लोगों का कलेजा फिर से मुंह को आने को है।

चीन की बैट वूमेन ने दी चेतावनी 

दरअसल चीन की बैट वूमेन के नाम से मशहूर वैज्ञानिक शी जेंगली ने चेतावनी दी है कि कोरोना जैसे कितने ही वायरस प्रकृति में अब भी मौजूद हैं। अगर रिसर्च ना हुई तो कोरोना जैसी कई महामारियां फैल सकती हैं। उनकी इस तरह की चेतावनी दिए जाने के बाद एक बार फिर से दुनिया के तमाम देश सकते में है। उनका कहना है कि अभी कोरोना से निपटने के लिए कोई टीका या इंजेक्शन नहीं बन पाया है उस पर इस तरह के और वायरस फैलने की सूचना ही शरीर में सिहरन और डर पैदा कर देती है।

कोरोना की वजह से तमाम देशों को लॉकडाउन करना पड़ा, उस लॉकडाउन से कितना नुकसान हुआ उसका सही सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। तमाम अर्थशास्त्री सिर्फ अनुमान ही लगा रहे हैं मगर सच्चाई तक कोई नहीं पहुंच पा रहा है। इस बीच एक और ऐसी खबर सभी के लिए चिंता का विषय है। शुरू से ही चमगादड़ों को अशुभ माना जाता है। मगर कोरोना फैलने के बाद से तो उन्हें बीमारी बांटने वाला भी माना जाने लगा है क्योंकि पहले सार्स और अब कोविड-19 का जन्मदाता चमगादड़ों को ही माना गया है।

वायरसों की एक्सपर्ट 

चीन की शी जेंगली इन्हीं चमगादड़ों और इनके खतरनाक वायरसों की एक्सपर्ट हैं। जेंगली उसी वुहान शहर में मौजूद वुहान वॉयरोलॉजी लैब में 15 साल से चमगादड़ों के वायरस पर रिसर्च कर रही हैं। उन्होंने जब कोरोना जैसे और वायरसों के बारे में कहा तो लोगों के कान खड़े हो गए। वैसे यदि कोई मजाक में कोरोना जैसे वायरसों के बारे में कहे तो कोई भी एकबारगी यकीन तो नहीं करेगा मगर जब एक वैज्ञानिक इस तरह की बात करती है तो यकीन करना तो बनता ही है।

SARS जैसे कई वायरस वातावरण में मौजूद 

शी जेंगली ने चेतावनी देते हुए कहा कि वो 15 साल से रिसर्च कर रही हैं। उनकी टीम ने चमगादड़ों से अब तक सिर्फ तीन तरह के कोरोनावायरस अलग किए हैं। इनमें से एक सार्स वायरस के 96 फीसदी समान है तो दूसरा सार्स-कोव-2 वायरस के 79.8 फीसदी समान है। उन्होंने सार्स जैसे वायरस ढूंढ निकाले। ट्रेसिंग के जरिए वायरसों में जेनेटिक भिन्नता की पहचान की। हम उन्हें सार्स से जुड़े वायरस कहते हैं। इसका मतलब ये सार्स ही नहीं सार्स जैसे वायरस भी मानव जाति के लिए गंभीर खतरा हो सकते हैं। अब ये कितनी मात्रा में मौजूद है इसके लिए रिसर्च करनी ही होगी

2002 में कोविड-19 जैसा SARS वायरस फैला था इसकी शुरूआत भी चीन से हुई थी। लैब में 2004 से ही रिसर्च की जा रही है जिसमें शी जेंगली का बड़ा रोल है। अब जेंगली कह रही हैं कि शोध बढ़ाने की जरूरत है वरना ऐसी महामारियां आती रहेंगी। शेंगली का कहना है कि रिसर्च की वजह से ही कोविड-19 का जल्दी पता लगा। वरना लोग बीमार होकर अस्पताल पहुंच रहे थे और वहां मर जा रहे थे।

जब बीमारी काफी फैल गई तो इसका पता चला, इसके लिए डॉक्टरों की टीम ने काफी रिसर्च की तब जाकर इस रहस्य से भी पर्दा उठ पाया। दुनिया में कई प्रकार के चमगादड़ और जंगली जानवर हैं और उनमें कई प्रकार के वायरस हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को अभी जानवरों में मौजूद कई प्रकार के वायरसों के बारे में खोज कर उसके बारे में चेतावनी जारी करनी है ताकि इनसे बचाव के लिए दवाई बनाई जा सके

शी ने कहा कि ये वायरस प्रकृति में मौजूद होते हैं, चाहें आप स्वीकार करें या न करें। अगर हम उन पर शोध नहीं करेंगे तो एक और महामारी फैल सकती है। इसलिए उनके फैलने से पहले हम उन्हें ढूंढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

अगर रिसर्च नहीं हुई तो और भी महामारियां फैलेंगी 

जेंगली ने बताया कि 2004 से स्टडी शुरू की थी। 15 साल में हमारे पास सामग्री, तकनीक बड़े पैमाने पर मौजूद हैं हमारे पास प्रतिभाएं हैं। इसी वजह से हमें बीमारी को जल्दी समझने में आसानी हुई। उनका कहना है कि यदि स्टडी नहीं हुई तो और भी महामारियां फैलती रहेंगी। जेंगली के मुताबिक कुदरत में ऐसे वायरस मौजूद हैं जिन्हें हमें स्वीकार करना होगा।

वुहान स्थित वायरोलॉजी लैब के निदेशक वांग यानयी ने कहा कि लैब से कोरोना फैलने के जो आरोप लगाए जा रहे हैं वो आरोप मनगढ़त हैं और उनके इंस्टीट्यूट ने अब तक सार्स-कोव-2 वायरस पर कोई शोध ही नहीं किया है। यह प्राकृतिक रूप से पनपा वायरस है।

उन्होंने कहा कि हमारे इंस्टीट्यूट को पिछले साल 30 दिसंबर को अनजान न्यूमोनिया वाले नमूने मिले थे। जब हमने नमूनों की जांच की तो नए प्रकार का कोरोनावायरस सार्स-कोव-2 पाया। इससे पहले हमें इसके बारे में काई जानकारी नहीं थी। हमने न तो इस पर पहले शोध किया था न तो इसे लैब में रखा था।