TV20 NEWS || AZAMGHARH : बदलते हुए वक्त के साथ अपने अंदर भी बदलाव लाना समय की मांग-डा. संजीव कुमार

20 मार्च, आजमगढ़
नेशनल बुक ट्स्ट, इंडिया, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से पर्यटन और संस्कृति विभाग उ0 प्र0, जिला प्रशासन आजमगढ़ एवं शुरूआत समिति की संयुक्त पहल पर आयोजित 25वें आजमगढ़ पुस्तक मेले के तीसरे दिन ‘‘ई पुस्तकालय का कैसे करे प्रयोग’’ एवं ‘‘ हमारा आजमगढ़’’ विषय पर विमर्श का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में नयी दिल्ली से आये प्रख्यात पत्रकार एवं लेखक श्री चन्द्रभूषण ने कहा कि ज्यादा पढ़ना आपको ज्ञान केे अथाह सागर का साक्षात्कार कराता है। उन्होंने आजमगढ़ के ऐतिहासिक परिपेक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पूरब में नायक भक्ति का चलन है और पूरब के आदमी की सबसे बड़ी कमी यह है कि वह सही और गलत का भेद किये बिना अपने नायकों को चुन लेता है जिससे जो असल में नायक होते हैं जो वास्तविकता में हमारी संस्कृति के वाहक होते हैं वह पीछे छूट जाते हैं। उन्होंने अपनी तिब्बत यात्रा के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि वह अभिभूत हो गये कि यह देखकर कि तिब्बत की राजधानी ल्हासा में राहुल सांकृत्यायन का रेखाचित्र मौजूद है। यह आजमगढ़ और उसकी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विरासत के वास्तविकता से परिचय कराता है। वह यह बताता है कि आजमगढ़ बम, बारूद और आतंक का गढ़ नहीं है बल्कि साहित्य, संस्कृति और सृजन का गढ़ हैै। उन्होंने कहा कि सूचना क्रान्ति के दौर में जब मनुष्य की हर चीज एक स्क्रीन के पीछे मौजूद हो तब हमें भी समय के साथ कदम ताल करना चाहिए। ईबुक्स आज के समय की वास्तविकता है और हमें उन्हें अपनाने में संकोच नही करना चाहिए।
इस अवसर पर भारतेन्दु नाट्य अकादमी के निर्देशक श्री विपिन कुमार ने कहा कि भूमण्डलीकरण के दौर में वैश्विक ज्ञान के लोकतांत्रिकरण का सबसे सशक्त माध्यम ईबुक्स है। जो हर जगह, हर समय सुलभ है।
इस अवसर पर महाराजा सुहैल देव यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. संजीव कुमार ने कहा कि आजमगढ़ के युवाओं को चाहिए कि वह ज्ञान के हर साधन का प्रयोग करने में सक्षम हो और बदलते हुए वक्त के साथ अपने अंदर भी बदलाव लायें। उन्होंने डार्विन के सिद्धान्त का उदाहरण देते हुए कहा कि विषम परिस्थितियों में भी जो अपने आपको और अपनी रचनात्मकता को जीवित रख पायेगा वही आगे सफल होगा एवं वही आगे अपने मूल अस्तित्व को बचा पायेगा।
विमर्श में अपने विचार रखते हुए प्रख्यात कथाकार हेमन्त कुमार ने कहा कि साहित्य युवाओं को विश्व नागरिक बनाने में सहायक होता है।
जी जी आई सी की प्राचार्य रूबी खातून ने कहा कि आजमगढ़ के नौनिहालों के सुनहरे भविष्य के लिए यह आवश्यक है कि वह पुस्तकें पढ़े और अपने ज्ञान को बढ़ाने में ईबुक्स के माध्यम से दुनिया को जानें।
नेशनल बुक ट्स्ट, इंडिया के प्रतिनिधि श्री सुमित सिंह ने कहा कि एन बी टी अपने स्तर पर अच्छा और गुणवत्तापूर्ण साहित्य सबके लिए सुलभ कराने में पूरे राष्ट् में काम कर रही है। ऐसे पुस्तक मेले के माध्यम से हम समाज के आखिरी आदमी तक ज्ञान की रोशनी पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए भारतेन्दु नाट्य अकादमी से आये डा. रूपेश गुप्ता ने कहा कि रंगमंच का भारतीय साहित्य के उन्नयन में बहुत बड़ा योगदान रहा है। चाहे वह प्रेमचंद के रंगभूमि के सूरदास का चरित्र हो या फिर गोदान में होरी की ब्यथा, रंगमंच ने अपने कलात्मक दृष्टिकोण से इन कथाओं का नाट्य रूपान्तरण कर साहित्य के आयामों में वृद्धि की है और उसे एक कलात्मक निष्कर्ष तक पहंुचाने का प्रयास किया है।
इस अवसर पर मेले की समन्वय समिति के प्रतिनिधि विकल्प रंजन ने कबीर के दोहों की संगीतात्मक प्रस्तुति की।
बाल मंडप गतिविधियों के अंतर्गत सड़क सुरक्षा थीम पर नाट्य प्रस्तुति, पोस्टर लेखन कार्यशाला का आयोजन किया गया। नाटक के माध्यम से विद्यार्थियों ने सड़क की विभीषिका से अवगत हुई तथा जीवन में सड़क के नियमों को धारणा करने की शपथ ली।
इस अवसर पर अनुराग श्रीवास्तव, जिला कोषा अधिकारी, श्री आजाद भगत एडीएम राजस्व, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्री हवलदार यादव एवं गंगा सेवक सम्मान से सम्मानित श्री सुनील राय विशेष रूप से मौजूद रहे।
सांस्कृतिक सत्र में निर्माण से निर्वाण तक का मंचन
शाम के सांस्कृतिक सत्र में भारतेन्दु नाट्य अकादमी के रंगमंडल द्वारा श्री बिपिन कुमार द्वारा निदेर्शित नाटक ‘‘निर्माण से निर्वाण तक’’ का मंचन किया गया। यह नाटक प्रसिद्ध नाटककार विजय मिश्र द्वारा लिखित तट निरंजना पर आधारित था। इस नाटक में लेखक ने नदी, और भूआकृति विज्ञान के रूपक को लेकर कथा को गढ़ा था। और बृद्ध के जीवन और मन के विभिन्न चरणों को दर्शाया था।
नाटक में गौतम का किरदार प्रखर पाण्डेय और पवन शर्मा ने किया, गोपा के रूप में निर्मला जे चन्द्रन, राहुल के पात्र में प्रदीप शिवहरे, आनंद के पात्र में आनंद मोहन द्विवेदी, ईशामति-अप्सरा खान, नील लोहित-रितेश अस्थाना, और सारी पुत्र का किरदार अंकुर वर्मा ने किया। लाईट डिजाईनिंग-हिमाशु बी जोशी, सुजीत यादव, कास्ट्यूम-कंचन, सेट डिजाईनिंग-चन्द्रभान विश्वकर्मा, संगीत निर्देशन-शुभ दीप गुहा और संगीत संचालन अर्घ्य सामंत द्वारा किया गया। मेकपमैन उपेन्द्र सोनी द्वारा किया गया। नाटक के सहायक निर्देशन अनिल कुमार चौधरी ने किया। नाटक के संयोजन में प्रिवेन्द्र सिंह, हीरा बाबु, डा. सुमित श्रीवास्तव दिया गया।