*TV20 NEWS || AZAMGHARH : आम की फसल बचाने को कीट प्रबंधन पर ज़ोर, थ्रिप्स और कैटरपिलर से बचाव को उप निदेशक उद्यान की सलाह*
प्रेस नोट
आजमगढ़ 17 अप्रैल– उप निदेशक उद्यान, आजमगढ़ मण्डल आजमगढ़ श्री जय करण सिंह ने बताया है कि मण्डल में आम के गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिये सम-सामयिक महत्व के कीट एवं रोगों का उचित प्रबन्धन समय से किया जाना नितान्त आवश्यक है, बौर निकलने से लेेकर फल लगने तक की अवस्था अत्यन्त ही संवेदनशील होती हैं। वर्तमान में बागवानों को मुख्य रूप से थ्रिप्स (रूजी कीट) एवं कैटरपिलर/कटर कीट (ब्लैक इंच वर्म) कीट से पौधों को क्षति पहुंचने की सम्भावना रहती है।
आम के बागों में थ्रिप्स (रूजी कीट) का प्रकोप दिखाई देता है, ये छोटे कीट आम के पुष्पक्रम और नई कोमल पत्तियों पर धब्बे एवं मुड़ने की समस्या को दर्शाता है, जिससे फल विकास मे बाधा उत्पन्न होती है। समय पर नियंत्रण न करने पर फलों की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसके नियंत्रण हेतु यांत्रिक विधि से ब्लू एवं येलो स्टिकी ट्रैप 20 से 25 ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से लगाये एवं रसायिनक नियंत्रण हेतुः- फिप्रोनिल 05 प्रतिशत एस0सी0 य थियाक्लोप्रिड 21.7 प्रतिशत एस0सी0 0.05 मिली0/प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करे। आवश्यकतानुसार 08 से 10 दिन के अन्तराल पर पुनः छिड़काव करें।
कैटरपिलर/कटर कीट (ब्लैक इंच वर्म) कीट आम उत्पादक/बागवानों के लिये गंभीर खतरा है। यह कीट आम के साथ-साथ अमरूद एवं अन्य फल वृक्षों मे नवीन कल्ले/पत्तियों एवं फलों को खाकर अपना जीवन चक्र पूर्ण करता है। कभी-कभी प्रारंभिक अवस्था के फलों को डण्ठल सहित काटकर भूमि पर गिरा देता है, जिससे आम उत्पादक/बागवानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है एवं वित्तीय क्षति पहुँचने की सम्भावना रहती है। इसके नियंत्रण के लिए आम उत्पादकों/बागवानों को व्यस्क कीटों के सवंर्धन पर नियंत्रण हेतु आम की बागों में लाइट-ट्रैप का प्रयोग करने का सुझाव दिया जाता है एवं रसायनिक नियंत्रण हेतुः- क्लोरोसाइपर (Chloropyriphos 50 + Cypermethrin 5 EC) दवा 01 मि0लि0/प्रति लीटर पानी मे इमामेक्टिन बंेजोएट 05 प्रतिशत एस0जी0, 0.5 मि0ली0/प्रति लीटर पानी में या स्पिनेटोरम 11.7 प्रतिशत एस0सी0 0.3 मि0ली0/प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। आवश्यकतानुसार 08 से 10 दिन के अंतराल पर पुनः छिड़काव करें।
कीटनाशको के प्रयोग के समय कीटनाशक के डिब्बों को बच्चों व जानवरों की पहुँच से दूर रखना चाहिए। कीटनाशक का छिड़काव करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह को मास्क व आखों को चश्मा पहनकर ढक लेना चाहिए, जिससे कीटनाशी त्वचा व आँखों में न जाय। कीटनाशक का छिड़काव शाम के समय जब हवा का वेग अधिक न हो तब करना चाहिए अथवा हवा चलने की विपरीत दिशा में खड़े होकर करना चाहिए। कीटनाशक के खाली पाउच/डिब्बों को मिट्टी में दबा देना चाहिए।
——-जि0सू0का0 आजमगढ़-17.04.2025——–