*TV 20 NEWS || GHAZIABAD : उप्र में पहली बार 13.4 लाख में बिका 0001…स्टेटस सिंबल बने वीआईपी नंबरों पर लाखों लुटा रहे लोग!*

गाजियाबाद। कई बार लोग महंगी गाड़ियां सिर्फ इसलिए खरीदते हैं कि इससे उनको अपना स्टेटस दिखाना होता है। इस स्टेटस सिंबल को बनाए रखने और खुद को अलग दिखाने की जद्दोजहद यहीं तक नहीं रुकती। हालत यह हो जाती है कि कुछ वीआईपी नंबर तो गाड़ी की कीमत से भी महंगे बिक जाते हैं। इनमें से कुछ नंबर तो ऐसे हैं, जिनकी कीमत एक सामान्य एसयूवी से भी अधिक होती है। अपने शहर में गुरुवार को वीआईपी नंबरों की बोली के दौरान ऐसा देखने को मिला। गाजियाबाद की एक बिल्डर कंपनी ने 0001 नंबर को 13 लाख 40 हजार रुपये की बोली लगाकर खरीदा। विभाग के अधिकारियों की मानें तो यह प्रदेश में अभी तक सबसे महंगा नंबर बिका है। अब तक वीवीआईपी नंबर 1 लाख से चार लाख रुपये के बीच में ही बिकते थे। गुरुवार को हुई बोली में होड़ लग गई।

अंत में देवयश प्रॉजेक्ट्स एंड इन्फ्रास्ट्रक्टर को यह नंबर आवंटित किया गया। दूसरे नंबर 0009 सीरीज का नंबर 1 लाख 1 हजार रुपये में बिका। इस नंबर को बंथला के रहने वाले सौरभ मावी ने खरीदा है। 0007 सीरीज का नंबर एक लाख रुपये में नीलाम किया गया। इसे राजेंद्रनगर के रहने वाले अशोक भाटी ने लिया है। अधिकारियों ने बताया कि पिछले दिनों यूपी 14 जीएन सीरीज के वीआईपी नंबर खत्म हो गए थे। इसकी वजह से यूपी 14 जीपी सीरीज के वीआईपी नंबर की नीलामी करवाई गई है। इससे पहले यूपी 14 जीडी सीरीज समाप्त हो चुकी है। इस सीरीज का सबसे महंगा नंबर 0007 रहा जो 2.69 लाख रुपये में बिका था। 0009 1.79 लाख रुपए में बिका था।
आरटीओ (प्रशासन) राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि नॉन फैंसी नंबर हासिल करने के लिए चार पहिया वाहन चालकों को 5000 और दो पहिया वाहन चालकों को 1000 रुपये चुकाने पड़ते है। जबकि वीआईपी और फैंसी नंबर हासिल करने के लिए बिडिंग प्रक्रिया में हिस्सा लेना होगा। बिडिंग प्रक्रिया में आवेदक को तीन बोलियां लगानी होती हैं। सबसे ऊंची बोली लगाने वाले आवेदक को नंबर आवंटित कर दिया जाता है। विभाग की वेबसाइट http://vahan.parivahan.gov.in/fancynumberbid पर जाकर वीआईपी नंबर के लिए आवेदन कर सकते हैं।
बताया जाता है कि वीआईपी नंबर लेने के पीछे दो प्रमुख कारण होते हैं। पहला कारण लोग शौक में लेते हैं। वहीं कई लोग अपने वास्तु के हिसाब से भी शुभ नंबर खरीदते हैं। इसलिए लोगों फैंसी नंबर को हासिल के लिए मुंहमांगी कीमत देते हैं। अभी तक दूसरे राज्यों से एनओसी लेकर आने वाले वाहनों पर फैंसी नंबर लेने की परमिशन नहीं थी। अब शासन की तरफ से उन्हें भी इसमें आवेदन करने का मौका दे दिया है। इससे विभाग के राजस्व में बढ़ोतरी होगी। इसलिए इस दिशा में काम किया जा रहा है।