*TV20 NEWS|| PRAYAGRAJ : हाईकोर्ट ने युवती के विवाह में बाधक बने पिता-पुत्र की निंदा की पर गिरफ्तारी रोकी*

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि संविधान प्रावधान बालिग को अपनी मर्जी से किसी से विवाह करने का अधिकार देता है किन्तु सामाजिक मापदंड इसके विपरित है. संविधान और सामाजिक मानदंडों के बीच मूल्य का अंतर स्वाभाविक है. अधिकार की रक्षा करना कोर्ट का संवैधानिक कर्तव्य है. कोर्ट ने पसंद के व्यक्ति से शादी करने संबंधी युवती के निर्णय का विरोध करने वाले परिवार पर अपहरण के आरोप को सही नहीं माना.

लेकिन यह भी कहा है कि याचीगण ने अभी तक कोई अपराध नहीं किया है, इसलिए उनकी गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए. साथ ही कहा याचीगण विपक्षी शिकायतकर्ता से किसी भी माध्यम से संपर्क नहीं करेंगे और पुलिस व परिवार उसके जीवन में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.

कोर्ट ने शिकायतकर्ता विपक्षी लड़की को नोटिस जारी की है और राज्य सरकार सहित विपक्षी से याचिका पर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. यह आदेश जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की बेंच ने मिर्जापुर के अमरनाथ यादव व तीन अन्य की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि याची के परिवार के सदस्य, 27 वर्ष की युवती के अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने के निर्णय पर आपत्ति जताते हैं जबकि यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक वयस्क को है.

“कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उसे नहीं पता कि याचीगण (युवती के पिता और भाई) “वास्तव में अपहरण करने का इरादा रखते हैं. मुकदमे से जुड़े तथ्य यह हैं कि युवती ने अपने  पिता और भाई के खिलाफ मीरजापुर के चील्ह थाने में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 140 (3), 62 और 352 के तहत एफआइआर  दर्ज कराई है. याची गण ने इसे रद करने की मांग की है.

बेंच ने इस एफआइआर के मद्देनजर याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, लेकिन उन्हें युवती के जीवन में हस्तक्षेप करने या उस पर हमला करने, धमकी देने या उससे या उस व्यक्ति से संपर्क करने से भी रोक दिया, जिससे वह शादी करना चाहती है अथवा जिसके साथ रहना चाहती है.

न्यायालय ने राज्य सरकार और अन्य अधिकारियों को भी नोटिस जारी किया और मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. प्रकरण में अगली सुनवाई 18 जुलाई, 2025 को होगी.

रिकार्ड गायब करने के आरोपी पूर्व लेखपाल की गिरफ्तारी पर रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर खेता सराय से एक सी ओ पद से सेवानिवृत्त याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और विपक्षी शिकायतकर्ता को नोटिस जारी की है तथा राज्य सरकार से चार हफ्ते में याचिका पर जवाब मांगा है. यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस हरवीर सिंह की बेंच ने ताड़केश्वर लाल की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

याची अधिवक्ता धनंजय कुमार मिश्र का कहना था कि याची खेता सराय में लेखपाल था. 1992 मे उसका तबादला मिर्जापुर कर दिया गया. 1992 में चकबंदी चल रही थी. आकार पत्र 41 व 45 याची द्वारा तैयार किया गया था. रिकार्ड गायब पाये जाने पर20मई 25को खेता सराय में एसीओ ने एफआईआर दर्ज कराई है. याची 2008 में एसीओ पद पर पदोन्नत कर दिया.