*TV20 NEWS || AZAMGHARH : पूर्व सैनिक का घर जेसीबी से ढहा, आरोप- बिना नोटिस कार्रवाई; दूसरे पक्ष ने भी रखी अपनी दलील*

पूर्व सैनिक का घर जेसीबी से ढहा, आरोप- बिना नोटिस कार्रवाई; दूसरे पक्ष ने भी रखी अपनी दलील

Anchor – सगड़ी तहसील क्षेत्र के चंगईपुर गांव में पैतृक संपत्ति को लेकर उपजा विवाद अब प्रशासन और न्यायिक जांच के घेरे में आ गया है। पूर्व सैनिक नायब सुबेदार सुदामा प्रसाद प्रजापति ने आरोप लगाया है कि प्रशासन ने बिना उचित नोटिस दिए उनके पैतृक मकान को जेसीबी से ढहवा दिया, जिसमें उनका स्कूटर, टीवी और अन्य घरेलू सामान भी मलबे में दब गया। पूर्व सैनिक ने जिलाधिकारी को प्रेषित शिकायत पत्र में कहा है कि उन्होंने वर्ष 2022 में नोटिस मिलने पर स्वयं ही अपना मकान गिरा दिया था, किंतु उनकी पैतृक भूमि (37 फीट चौड़ी व लगभग 100 कड़ी लंबाई) का सीमांकन अब तक नहीं कराया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि 2 सितंबर 2025 को लेखपाल रीता गौतम और कानगोह समोधीराम ने अचानक जेसीबी लगवाकर उनके शेष मकान को गिरा दिया। उन्होंने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई, पैतृक भूमि का सीमांकन, सड़क से रास्ते की व्यवस्था और दबे सामान का मुआवजा दिलाने की मांग की है।
वहीं, इस मामले में दूसरे पक्ष के कमलेश प्रजापति ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि विपक्षी उन पर झूठे आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी भूमि की पक्की पैमाइश कराई थी और उस पर नायब तहसीलदार की मौजूदगी में पत्थर भी गाढ़ा गया था। लेकिन विपक्षी पक्ष ने उस पत्थर को उखाड़कर नया पत्थर गाड़ दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब पक्की पैमाइश का कागज मौजूद है तो प्रशासन ने उनकी बात पर गौर क्यों नहीं किया।
कमलेश ने यह भी कहा कि उनके पिताजी ने पहले कैलाश प्रजापति के खिलाफ नवीन परती भूमि पर कब्जा हटाने को लेकर पीआईएल दाखिल की थी, जिसमें उनके चक (गाटा संख्या 615) का भी जिक्र है। उन्होंने साफ कहा कि “हमारी भी बात सुनी जाए और हमारे कागज भी देखे जाएं। जब निष्पक्ष जांच होगी तभी सच्चाई सामने आएगी।” फिलहाल, मामला प्रशासनिक और कानूनी पचड़े में फंस गया है। एक ओर पूर्व सैनिक न्याय और मुआवजे की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी ओर विपक्षी पक्ष अपने पैमाइश और पत्थर गाड़ने को सही ठहरा रहा है। अब सबकी निगाहें प्रशासनिक जांच और जिलाधिकारी के फैसले पर टिकी हैं।

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