*TV20 NEWS|| PRAYAGRAJ :क्वालिटी बार मामले में आजम खान को मिली Bail, 1 केस में बेल शेष*

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान की रामपुर के क्वालिटी बार मामले में  जमानत (Bail) मंजूर कर ली है. उनके खिलाफ दर्ज कुल 96 मामलों में से एक को छोड़कर सभी में जमानत (Bail) मिल चुकी है. यह आदेश जस्टिस समीर जैन ने दिया है.

आजम खां पर आरोप है कि उन्होंने रामपुर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में स्थित क्वालिटी बार की जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया . 13 मार्च 2014 को मंत्री रहते हुए, जिला सहकारी संघ लिमिटेड की 169 वर्ग गज जमीन अपनी पत्नी डॉ. तन्जीन फातिमा के नाम मात्र 1200 रुपया मासिक किराए पर आवंटित करा ली थी. बाद में उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को भी सह-किराएदार बनाया गया था.  21 नवंबर 2019 को बार के मालिक गगन अरोड़ा की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें डॉ. तन्जीन फातिमा, अब्दुल्ला आजम और अन्य के साथ आजम खान को भी आरोपी बनाया गया था.

रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 17 मई 2025 की आजम खान की जमानत (Bail) अर्जी खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट में आजम खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इमरान उल्लाह, मोहम्मद खालिद ने दलील दी कि राजनीतिक रंजिश के चलते एफआईआर दर्ज कराया गया है. सरकारी वकील ने उनके लंबे आपराधिक इतिहास और पद के दुरुपयोग का हवाला देते हुए जमानत का विरोध किया. सभी दलीलों को सुनने के बाद, कोर्ट ने 21 अगस्त 2025 को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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मेरठ के पशु चिकित्सक की सशर्त Bail मंजूर, जुलाई 25 से थे जेल में

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के पशु चिकित्सक डा हरपाल सिंह की सशर्त जमानत (Bail) मंजूर कर ली है. इन्हें गोशाला का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था और स्टाक रजिस्टर में अनियमितता व गोशाला के रखरखाव में गड़बड़ी के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए जस्टिस कृष्ण पहल ने कहा कि कानून की अवधारणा है कि अभियुक्त जबतक अपराध का दोषी करार न दिया जाए वह निर्दोष है. जमानत (Bail) नियम और जेल अपवाद है. संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन स्वतंत्रता का मूल अधिकार देता है. बिना कानूनी प्रक्रिया के कोई अभियुक्त हैं के कारण उसके जीवन स्वतंत्रता के अधिकार नहीं जीने जा सकते. कानूनी प्रक्रिया उचित व तर्कपूर्ण होनी चाहिए.

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सत्येन्द्र कुमार अंतिल केस का हवाला देते हुए कहा कि विशेष स्थिति में ही अभियुक्त को जमानत (Bail) देने से इंकार किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा जमानत का उद्देश्य अभियुक्त की ट्रायल के दौरान हाजिरी सुनिश्चित करना है. यदि न्याय की पकड़ से भागने या अपराध दुहराने या गवाहों पर दबाव डालने या विवेचना में हस्तक्षेप करने की संभावना नहीं है तो जमानत (Bail) दी जानी चाहिए.

जमानत (Bail) को दंड के रूप में लटकाये रख रोका नहीं जा सकता. कोर्ट ने पशु चिकित्सक की स्थिति, अपराध की प्रकृति,दंड की संभावना और गोशाला का अतिरिक्त प्रभार सौंपने की स्थिति को देखते हुए याची को जमानत पाने का हकदार माना.और सशर्त जमानत (Bail) पर रिहा करने का आदेश दिया है.

याची अधिवक्ता का कहना था कि वह सरकारी कर्मचारी हैं, पशुओं के इलाज का काम है.उसे गोशाला का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया.स्टाक रजिस्टर उसके पास नहीं गोशाला स्टाफ के पास रहता है. 1100 पशुओ के रखने की गोशाला में 2500 पशु रखें गये है. प्राधिकारी काफी दबाव डालते हैं. वह असहाय हैं. प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने नगर आयुक्त नगर निगम मेरठ को पत्र लिखकर गायों के लिए चारा खाने के स्थान के लिए अतिरिक्त टीन शेड की मांग की थी. किंतु कोई सुनवाई नहीं हुई. वह 22 जुलाई 25 से जेल में बंद हैं जबकि कथित अपराध से उसका कोई सरोकार नहीं है.

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