ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से घर में ही दें कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन, जानिए होम आइसोलेशन में यह कितना फायदेमंद
कोरोना की दूसरी लहर हर दिन नए मरीजों और मौतों के आंकड़ों का रिकॉर्ड तोड़ रही है। पिछले कुछ दिनों से देश में लगातार 3 लाख से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं। अस्पतालों में जगह नहीं बची है। जम्मू से कन्याकुमारी तक ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और ICU बेड्स की कमी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। इस दौरान आपने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का जिक्र जरूर सुना होगा। एक्सपर्ट कह रहे हैं कि होम आइसोलेशन में रह रहें कोरोनावायरस मरीजों के लिए ये बेहद फायदेमंद है।
आइए समझते हैं ऑक्सीजन कंसंट्रेटर होता क्या है, कैसे काम करता है और मरीजों के लिए कितना फायदेमंद है…
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर होता क्या है और काम कैसे करता है?
हमारे आसपास मौजूद हवा में कई तरह की गैस मौजूद हैं। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उस हवा में से ऑक्सीजन को अलग करता है। ये कंसंट्रेटर वातावरण में मौजूद हवा को अपने अंदर लेकर उसमें से दूसरी गैसों को अलग कर शुद्ध ऑक्सीजन सप्लाई करता है।
कंसंट्रेटर के फायदे क्या हैं?
अगर आप कोरोना के मरीज हैं और होम आइसोलेशन में हैं तो यह एक अच्छा विकल्प है।
एक कंसंट्रेटर एक मिनट में 5 से 10 लीटर ऑक्सीजन सप्लाई कर सकता है।
इसे ऑक्सीजन सिलेंडर की तरह बार-बार रिफिल करने की जरूरत नहीं है।
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के अलावा किसी और डिवाइस की आवश्यकता नहीं है।
एक अच्छा कंसंट्रेटर लगातार 24 घंटे भी इस्तेमाल में लिया जा सकता है।
इसके ट्रांसपोर्ट और मेंटेनेंस का भी कोई खर्चा नहीं है।
बिजली न होने पर इसे इनवर्टर से भी चलाया जा सकता है।
कंसंट्रेटर के नुकसान क्या हैं?
कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए किसी काम का नहीं। उन्हें एक मिनट में लगभग 40 से 50 लीटर ऑक्सीजन के फ्लो की जरूरत होती है जो कंसंट्रेटर की क्षमता से बाहर है।
कंसंट्रेटर से जो ऑक्सीजन सप्लाई होती है, उसकी शुद्धता कम होती है। इसकी तुलना मेंं ICU में दी जाने वाली ऑक्सीजन 98% तक शुद्ध होती है।
ऑक्सीजन सिलेंडर की तुलना में यह महंगा उपाय है। इसकी कीमत 40 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक है।
ऑक्सीजन सिलेंडर और कंसंट्रेटर में क्या फर्क है?
हॉस्पिटल में ICU या वेंटिलेटर पर मरीजों को जो ऑक्सीजन दी जाती है वो हॉस्पिटल के बड़े टैंकरों में स्टोर होती है। इन टैंकरों से ये ऑक्सीजन मरीज के बेड तक पाइपलाइन से पहुंचती है। जिन हॉस्पिटल में ऑक्सीजन को स्टोर करने के लिए टैंकर नहीं हैं, वहां इन्हें छोटे सिलेंडर से मरीजों तक लाया जाता है।
यह ऑक्सीजन हॉस्पिटल तक किसी प्लांट से पहुंचती है, जहां इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को आप छोटा और घरेलू ऑक्सीजन प्लांट मानिए। ये कंसंट्रेटर आपके आसपास की हवा को शुद्ध कर उसे मरीजों को देने लायक बनाता है।
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
फ्लो रेटः फ्लो रेट यानी कंसंट्रेटर से मरीज तक कितनी देर में कितनी ऑक्सीजन पहुंचेगी। फ्लो रेट जितना ज्यादा होगा, मरीज को उतनी ज्यादा ऑक्सीजन मिलेगी। एक अच्छे कंसंट्रेटर का फ्लो रेट 1 से 5 लीटर प्रति मिनट होना चाहिए यानी 1 मिनट में 1 से 5 लीटर ऑक्सीजन मरीज तक पहुंचना चाहिए। हालांकि, ये हर कंसंट्रेटर के लिए अलग होता है।
पोर्टेबिलिटीः कंसंट्रेटर खरीदते वक्त इस बात का भी ध्यान रखें कि उसे एक जगह से दूसरी जगह कितनी आसानी से ले जाया जा सकता है। कंसंट्रेटर इतना भारी न हो कि एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाने में परेशानी हो। दरअसल कंसंट्रेटर के वजन का सीधा-सीधा संबंध उसकी फ्लो रेट से भी है। कंसंट्रेटर की फ्लो रेट जितनी ज्यादा होगी उसका वजन भी उतना ही ज्यादा होगा। फिलहाल मार्केट में 5 किलो से कम वजन के कंसंट्रेटर भी मौजूद हैं।
ऑक्सीजन की शुद्धताः हॉस्पिटल में मरीजों को जो मेडिकल ऑक्सीजन दी जाती है उसकी शुद्धता 98% तक होती है, लेकिन कंसंट्रेटर से मिलने वाली ऑक्सीजन की शुद्धता 88% से 98% तक होती है। ऑक्सीजन की शुद्धता जितनी ज्यादा होगी कंसंट्रेटर उतना बेहतर होगा, लेकिन इससे कंसंट्रेटर की कीमत बढ़ जाएगी।
बिजली की खपत: कंसंट्रेटर की क्षमता के मुताबिक बिजली की खपत भी अलग-अलग होती है। ऐसा कंसंट्रेटर चुनें जो कम बिजली में भी चल सके। फिलहाल मार्केट में ऐसे कंसंट्रेटर मौजूद हैं जो इनवर्टर या कार की बैटरी से भी चलाए जा सकते हैं।
(नोटः ये जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है। अलग-अलग मरीजों को अलग-अलग क्षमता के कंसंट्रेटर की आवश्यकता हो सकती है। कंसंट्रेटर खरीदने से पहले आप डॉक्टर की सलाह जरूर लें।)