धान की फसल में लगने वाले झुलसा रोगों से निजात पाने के लिए किसान करें ये उपाय

आजमगढ़ 24 सितम्बर– जिला कृषि रक्षा अधिकारी सुधीर कुमार द्वारा कृषकों को सचेत करते हुये धान की फसल में लगने वाले झुलसा रोगों की पहचान एवं नियंत्रण हेतु कई सुझाव दिये हैं। जिसके अन्तर्गत इस समय धान की फसल में कहीं-कहीं से झुलसा रोग की शिकायत प्राप्त हो रही है या झुलसा रोग लगने की पूरी सम्भावना है, ऐसे में किसान भाई यदि उनकी फसल में झुलसा रोग की शिकायत है तो वे झुलसा रोग की पहचान करने के बाद संस्तुत रसायनों का प्रयोग करके अपनी फसल को इस रोग से बचाव कर सकते है।
उन्होने झुलसा रोग की पहचान एवं उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि जीवाणु झुलसा रोग में पत्तियां नोंक अथवा किनारे से एक दम सूखने लगती है। सूखे हुये किनारे अनियमित एवं टेढ़े-मेढ़े होते हैं। इसके उपचार के लिये फसल रोग के लक्षण दिखाई देने पर नत्रजन की टॉपड्रेसिंग यदि बाकी हो तो उसे रोक दें, खेतों में पानी भरा हो तो उसे निकाल दें तथा इस रोग के रसायनिक उपचार के लिये 15 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसीन सल्फेट 90 प्रतिशत के साथ टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत को 500 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी के साथ मिलाकर प्रति हे0 500 से 700 ली0 पानी में घोलकर छिड़काव करें।
शीथ झुलसा रोग में पत्र कंचुल पर अनियमित आकार के धब्बे बनते है, जिसका किनारा गहरा भुरा तथा बीच का भाग हल्के रंग का होता है, पत्तियों पर घेरेदार धब्बे बनते है। इसके उपचार के लिये खड़ी फसल में 01 किग्रा0 थायोफिनेट मिथाइल 70 प्रतिशत डब्ल्यूपी अथवा 500 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी या 750 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12 प्रतिशत के साथ मैंकोजेब 63 प्रतिशत डब्ल्यूपी की मात्रा को 500 से 750 ली0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
जीवाणुधारी रोग के कारण पत्तियों पर कत्थई रंग की लम्बी-लम्बी धारियां नसो के बीच में पड़ जाती है। इस रोग के उपचार के लिये 15 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसीन सल्फेट 90 प्रतिशत+टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत को 500 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी के साथ मिलाकर प्रति हे0 500 से 700 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

—-जि0सू0का0 आजमगढ़-24-09-2021—–