सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के चौथे दिन नारद मोह और शिव पार्वती विवाह का किया गया वर्णन

आजमगढ़। स्वावलम्बी कलाकार सेवा समिति द्वारा ग्रामसभा बघावर में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के चौथे दिन शुक्रवार को मानस प्रवक्ता अलंकार सिंह कौशिक ने नारद मोह और शिव पार्वती विवाह का वर्णन किया। जिसे सुन श्रोता मनमुग्ध हो गये। प्रंसग से पूर्व सरजू बचाओ अभियान के संयोजक पवन सिंह द्वारा मानस प्रवक्ता को अंगवस्त्रम भेंट कर आरती की गई। मानस प्रवक्ता श्री कौशिक ने कहाकि सत्संग ही मृत्युलोक में भगवान के शरण में जाने का और सन्मार्ग में चलने का सबसे सुगम मार्ग है। उन्होने कहाकि भक्त भगवान से विमुख होता है तो उसे दुख झेलना पड़ता है वर्तमान दौर में कोई मनुष्य ऐसा नहीं जो दुखी न हो। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह भगवान का स्मरण करना छोड़ दे। रामनाम का स्मरण करने मात्र से हर एक विषम परिस्थितियों को पार किया जा सकता है। शिव पार्वती विवाह का वर्णन करते हुए उन्होने कहाकि नारद मुनि भगवान शिव एवं पार्वती के विवाह का रिश्ता लेकर आये थे। उनकी माता इसके खिलाफ थी। उनका मानना था कि शिव का कोई ठिकाना नहीं है। ऐसे पति के साथ पार्वती का रिश्ता निभना संभव नहीं है। लेकिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पहले ही स्वीकार कर चुकी थी और उन्ही के साथ जीवन जीना चाहेंगी। माता पार्वती ने राजसी ठाटबांट छोड़कर तप करने हिमालय के जंगल में चली गई। कठिन तप से महोदव को प्रसन्न कर पार्वती ने वर के रूप में उन्हे पाने का आशीर्वाद लिया। लेकिन जब पार्वती की माता ने महोदव को भूत, पिशाच के साथ देखा तो उनका मन विचलित होने लगा। तब नारद ऋषि ने उनके माता का मन का भ्रम दूर किया।
इस अवसर पर उमेश सिंह राठौर, दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा, मनीष विश्वकर्मा, ललित कुमार गौंड़, बबलू विश्वकर्मा, कथा समिति अध्यक्ष सूरज प्रताप सिंह, राजेश यादव आदि मौजूद रहे।