नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच चुनावी गठबंधन लगभग तय हो चुका है. दोनों पार्टियां जल्द इसका ऐलान भी करेंगी. रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह का आगामी विधान सभा चुनाव अध्यक्ष के तौर पर पहली परीक्षा है. इसलिए, वह रालोद के परंपरागत वोट को साथ जोड़कर चुनाव में खुद को साबित करने की हर मुमकिन कोशिश में जुटे हैं. बताया जा रहा है कि सपा और रालोद के बीच गठबंधन का ऐलान आगामी 21 नवंबर को होगा और दोनों पार्टियों में सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला भी तय हो चुका है. कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन ने चौधरी जयंत सिंह को खुद को स्थापित करने का एक अच्छा अवसर दिया है. जयंत भी यह बात बखूबी समझ रहे हैं, इसलिए वह प्रदेश और केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध जताने का कोई मौका नहीं छोड़ते. किसान आंदोलन के बाद वह जाट मतदाताओं में फिर से अपनी पैठ बनाने में जुटे हैं। वहीं, मुस्लिम और दलित पर भी पैनी नजर हैं.
साल 2009 में भाजपा के साथ गठबंधन के बाद मुस्लिम मतदाता रालोद से छिटक गया था. 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट मतदाताओं का रुझान भी भाजपा की तरफ हो गया था. लेकिन किसान आंदोलन से पश्चिमी यूपी में रालोद को राजनैतिक बल मिला है. मुसलमानों में भी नाराजगी कम हुई है, पर वह अभी भी रालोद को अकेले वोट देने के लिए तैयार नहीं है. कैराना के किसान मोहम्मद आजम मानना हैं कि रालोद-सपा गठबंधन में चुनाव लड़ते हैं, तो गठबंधन को वोट देंगे. यह पूछने पर रालोद अकेले चुनाव लड़ती है, तो वह खामोश हो जाते हैं.
राजनीतिक प्रक्षेकों का मानना हैं कि जाट मतदाता भी एकजुट होकर रालोद को वोट नहीं देंगे. क्योंकि, पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जाटों में अपनी अच्छी पकड़ बनाई है. उनका मानना हैं कि जिस सीट पर रालोद का उम्मीदवार नहीं होगा या उसका मुकाबला भाजपा के कद्दावर नेता से होगा, वहां जाट मतदाता भाजपा को वोट कर सकते हैं. वहीं, रालोद को भी मुस्लिमों को बेहतर प्रतिनिधित्व देना होगा. क्योंकि, मुसलमानों को दरकिनार कर वह जाट मतदाताओं की बुनियाद पर कोई सीट नहीं जीत सकती है. वहीं दलितों की संख्या भी अच्छी खासी है. पश्चिमी यूपी में जाट करीब 20 फीसदी है. वहीं मुस्लिम लगभग 30 प्रतिशत और दलित 25 फीसदी है. ऐसे में जयंत चौधरी को जाट मतदाताओं के साथ दलित और मुस्लिम को साथ जोड़ना जरूरी होगा. सपा के साथ आने से मुस्लिम मतदाता वोट कर सकते हैं. पश्चिमी यूपी के मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद और बरेली मंडल की ज्यादातर सीट पर विधान सभा चुनाव में विजयश्री के लिए जाट, मुस्लिम और दलित गठजोड़ जरूरी हैं.