कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजामाबाद की मिट्टी को देखा था, अब सब मिट्टी में मिल गया |

नीरजाकांत मिश्र | आजमगढ़ |

आजमगढ़ जिले का निजामाबाद कस्बा जो अपनी धार्मिक, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ ही मिट्टी के बर्तन के लिए पूरे देश में प्रसिद्व है, लेकिन महंगाई के चलते निजामाबाद के मिट्टी का कारोबार मिट्टी में मिल गया है। आज़मगढ़ ज़िले का निजामाबाद क़स्बा ब्लैक पाटरी उधोग की पहचान पूरे दुनिया में नाम है स उधोग कि कमर टूट गई है बैजनाथ प्रजापति जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना बनाया गया बर्तन दिखाने दिल्ली गए थे और बताया था कि बगैर पेंटिंग के हम लोग कलर कर देते बैजनाथ प्रजापति ने बिजली बिल में छूट की मांग की और कहा कि जैसे बनारस के बुनकरों को बिजली में छूट दी जाती है वैसे हमे भी बिल में छूट मिल ताकि विश्व में आजमगढ़ के ब्लैक पॉटरी का नाम हों सके | आजमगढ़ के निजामाबाद कस्बे में लगभग 500 वर्ष पहले कुम्हारों ने यहां मिट्टी के अनेको डिजाइन के बर्तन बनाकर पूरे देश में काली मिट्टी के मान-सम्मान को बढ़ाया था। जिला, स्टेट व राज्य स्तरीय प्रमाण पत्र व सील्ड के साथ ही राष्ट्रपति पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कारों से इन लोगों को सम्मानित किया जा चुका है। मिट्टी के व्यवसाय में यहां के लगभग 70 परिवार के कुम्हार ब्लैक पाटरी-चाय सेट, डिनर सेट, फ्लावर ब्लाज, गणेश मटका, सजावटी व दैनिक जीवन में उपयोग आने वाली सभी प्रकार की वस्तुओं को आकार देकर कम से कम दामों में बेंचकर नाम रोशन करते चले आ रहे है। इस काम में इनका पूरा परिवार लगा रहता है। इन मिट्टी के बर्तनों को बनाने में कुम्हार मिट्टी को पानी से भीगोकर पूरी तरह से रौंदते हैं, फिर चाक पर मनचाहा आकार देकर धूप में सुखाकर पकाते हैं। मिट्टी का बर्तन पकाने में दो भट्ठी खुली भट्ठी व बंद भट्ठी का उपयोग करते है, जिनमें अधिक से अधिक लागत आती है। बर्तनों पर नकाशी के लिए रांगा, पारा व शीषे के चूर्ण का उपयोग किया जाता है। इन सभी वस्तुओं के महंगे हो जाने के कारण कुम्हारों को मुनाफा नही मिल पा रहा है और सरकार भी इन्हें किसी प्रकार की मद्द नही कर रही है। वही कुम्हारो की माने तो उनका पूरा परिवार इस काम में लगा रहता है लेकिन मेहनत के बाद भी उनका उतना मूल्य नही मिल पाता की वह अपना व अपने परिवार का खर्च चल सके उपर से अब इनके सामने मिट्टी का संकट खड़ा हो गया है।