• किशोर-किशोरियों में पोषण का महत्व जरूरी, मानें डॉ की सलाह
• बच्चों को पौष्टिक भोजन खिलायें, उनके शरीर को स्वस्थ बनायें
आजमगढ़, 15 जनवरी 2022
उत्तर प्रदेश में कुल जनसंख्या का लगभग एक चौथाई भाग 10 से 19 वर्ष उम्र तक के किशोर- किशोरी हैं। शारीरिक एवं मानसिक वृद्धि के लिए यह उम्र काफी अहम होती है। अभिभावक अगर जागरूक रहेंगे तो किशोर-किशोरी कुपोषण से दूर रहेंगे। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आई.एन. तिवारी का। डॉ तिवारी के अनुसार जनपद में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत किशोर स्वास्थ्य परामर्श केंद्र, मंडलीय जिला चिकित्सालय में तथा किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र जिला महिला चिकित्सालय में संचालित है। इन केन्द्रों को साथिया केंद्र के नाम से भी जाना जाता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ तिवारी ने बताया कि जिले में किशोर तथा किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र/साथिया केंद्र संचालित किया जा रहा है, किशोर-किशोरी तथा अभिभावक इसका लाभ ले सकते हैं। किशोरावस्था के तीन मुख्य चरण होते हैं, ये हैं क्रमशः प्रारम्भिक किशोरावस्था (9 से 13 वर्ष), मध्य किशोरावस्था (14 से 15 वर्ष) तथा देर से किशोरावस्था (16 से 19 वर्ष)। इस दौरान किशोरावस्था में शारीरिक, मानसिक/बौद्धिक परिवर्तन, भावनात्मक तथा सामाजिक परिवर्तन होते हैं।
किशोरावस्था के दौरान पोषण के महत्व पर चर्चा करते हुये डॉ तिवारी ने बताया कि पोषण किशोरावस्था में वृद्धि एवं विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह किशोर-किशोरियों की शारीरिक संरचना में बदलाव और शारीरिक यौवनकाल की शुरुआत से जुड़ा है। सही पोषण विकास की गति को बढ़ाता है। इस अवस्था में माइक्रोन्यूट्रिएंट सहित पोषण सम्बंधी आवश्यकतायें बढ़ जाती हैं। गंभीर कुपोषण की वजह से यौन विकास में देरी हो सकती है। इस दौरान सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी विशेष महत्व होता है। सूक्ष्म पोषक तत्व शरीर की उचित वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक एंजाइम , हार्मोन और अन्य पदार्थ पर्याप्त मात्रा में उत्पन्न करने में शरीर को सक्षम बनाते हैं।
किशोर स्वास्थ्य परामर्श केंद्र/साथिया केंद्र के परामर्शदाता सुनील कुमार मालवीय ने बताया कि केंद्र पर प्रतिदिन लगभग 18 से 20 किशोरों को मंडलीय जिला अस्पताल के कमरा नं. 17 में परामर्श दिया जाता है। अक्टूबर माह में 470, नवम्बर माह में 500 तथा दिसम्बर माह में 511 किशोरों को परामर्श दिया गया था।
इस दौरान कुपोषण के संकेत एवं लक्षण जैसे भूख की कमी, खाना खाने या पीने में अरुचि, थकान और चिड़चिड़ापन, ध्यान केन्द्रित करने में अस्मर्थ, अवसाद जैसे समस्याओं के किशोर आते हैं। जिसमें बीमार पड़ने का अधिक खतरा तथा बीमारी ठीक होने में ज्यादा समय लगता है। अभिभावक अगर सतर्क रहेंगे, तो किशोर कुपोषित होने से बचे रहेंगे।
जिला महिला चिकित्सालय के किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र/साथिया केंद्र की परामर्शदाता मधुबाला ने बताया कि यह केंद्र 7 जुलाई सन 2013 से कमरा नं. 20 से संचालित किया जा रहा है केंद्र पर प्रतिदिन 15 से 20 किशोरियों को उनके विभिन्न मुद्दों पर परामर्श दिया जाता है। केंद्र में अक्टूबर माह में 280, नवम्बर माह में 318 तथा दिसम्बर माह में 248 किशोरियों को परामर्श दिया गया था।
किशोरियों का अधिक वजन और मोटापा भी काफी नुकसानदेह होता है। मोटापा होने पर ऊतकों में वसा की मात्रा अधिक जमा हो जाती है तथा शरीर का वजन वांछित वजन से 20 फीसदी तक अधिक बढ़ जाता है। मोटापे के कारण रक्त में कोलेस्ट्राल की अधिक मात्रा होने से अन्य बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए सतर्क रहें।
क्या कहा लाभार्थियों ने-
1- कंधरापुर निवासी 18 वर्षीय अरुणा ने बताया कि मुझे एक वर्ष पहले मानसिक तनाव की समस्या थी, केंद्र पर परामर्श के दौरान उचित खान-पान,पोषण तथा दिनचर्या के विषय में समझाया गया। मुझे अब काफी आराम है। सरकार की इस निःशुल्क सुविधा का बहुत-बहुत धन्यबाद।
2- हाफिजपुर निवासी 19 वर्षीय कविता ने बताया कि मुझे मासिक चक्र से संबन्धित समस्या थी। मुझे पोषण तथा विशेष रूप से मौसमी फल और मौसमी सब्जी खाने के लिए तथा व्यायाम करने के बारे में बताया गया। मैं पहले से अब बेहतर हूँ।