प्रभावित व्यक्तियों से ना करें भेदभाव
स्पर्श कुष्ठ जन-जागरूकता अभियान 30 से 13 फरवरी तक
आजमगढ़, 31 जनवरी 2022
जिले में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम स्पर्श कुष्ठ जन-जागरूकता अभियान 30 से 13 फरवरी तक मनाया जायेगा। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर जिला कुष्ठ कार्यालय में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर शपथ लिया गया कि कुष्ठ रोगियों को खोजकर नि:शुल्क इलाज उपलब्ध कराने और कुष्ठ रोग से मुक्त कराने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। प्रभावित व्यक्तियों से भेदभाव को समाप्त करने एवं उनको समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए पूर्ण योगदान करेंगे। यह कहना है जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ सीपी गुप्ता का।
कुष्ठ रोग माइक्रोवैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु से होता है। साथ खाने उठने बैठने से नहीं फैलता है। यह आनुवांशिक एवं छुआछूत रोग भी नहीं है| समय से जांच और उपचार कराने से दिव्यांगता से भी बचा जा सकता है।
जिला कुष्ठ रोग पर्यवेक्षक अधिकारी रामचंद्र चौहान ने बताया कि राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में 161 कुष्ठ रोगियों का उपचार चल रहा है। जिसमें से 29 पीबी (पासी बैसलरी) एवं 132 एमबी( मल्टी बैसलरी) रोगी हैं। साथ ही अब तक 135 रोगी ठीक हो चुके हैं। एक्टिव केस डिटेक्शन एंड रेगुलर सर्विलेंस के अंतर्गत आशा, आशा संगिनी घर-घर जाकर सर्वेक्षण कार्य कर रही हैं। इसमें घर के हर सदस्य की जांच की जा रहा है।जांच में पाये गए रोगियों का उपचार किया जा रहा है। नियमित रूप से पीबी के लिए कम से कम 6 से 9 माह और एमबी के लिए 12 से 18 माह तक इलाज किया जाता है कुष्ठ रोगियों को पैर सही रखने के लिए एमसीआर चप्पल तथा हाथ-पैर की देखभाल के लिए सेफ्टी किट, काटन, पट्टी, बी कामप्लेक्स, कैल्शियम की गोलियां दी जा रही हैं।
कुष्ठ रोग पर्यवेक्षक रामचंद्र चौहान ने बताया कि कुष्ठ की बीमारी हवा में मौजूद वैक्टीरिया के माध्यम से फैलती है। खांसने, छींकने से लेप्रै बैक्टीरिया हवा में मौजूद नमी के साथ सक्रिय कर खुद को विकसित कर लेता है और दूसरा व्यक्ति उस हवा में सांस लेकर नमी के उन कणों को अपने अंदर ले लेता है, जिससे वह भी संक्रमित हो जाता है। इसलिए सभी को जागरूक किया जा रहा है कि घर के आस-पास कोई व्यक्ति जिसकी आंखों से पानी आ रहा हो, हाथ पैर में छाले हो रहे हों, शरीर के कुछ हिस्से में गर्म ठंडे का अहसास नहीं हो रहा हो। ऐसी स्थिति में बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर (लेप्रोसी) कुष्ठ रोग का पता शुरुआती चरण में चलता है, तो रोग पर विजय पाना संभव हो होता है।
लक्षण – हाथ-पैर की उंगलियां टेढ़ी-मेढ़ी हो सकती हैं। मांसपेशियां में कमजोरी आ सकती है। हाथ-पैर काम करना बंद कर सकते हैं, नाक से खून या आंखों में सूजन की समस्या बढ़ सकती है| शरीर पर हल्के तांबे के रंग जैसे चकत्ते हो जाना, शरीर का कोई भी दाग धब्बा जिस पर सुन्नपन हो जाना, उसमें खुजली न हो, पसीना न आता हो,सुई लगने पर दर्द महसूस न होना, हथेली अथवा पैर के तलवे में भी सुन्नपन हो तो कुष्ठ की जांच अवश्य कराएं।
बचाव -घाव को साफ करके उसे साफ विसंक्रमित कपड़े से ढँक कर रखना चाहिए। खुले घाव में कोरोना का संक्रमण आसानी से अपना प्रभाव दिखा सकता है। ऐसे रोगियों को कुछ समय के अंतराल पर घाव पर ढके कपड़े को साबुन और गर्म पानी से धोकर धूप में सुखाना चाहिए। कुष्ठ रोग से बचाव के लिए चोट से बचें और घाव को साफ रखें। कुष्ठ रोग को फैलने से रोकने व निदान के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर की निगरानी में रहकर पूर्ण इलाज करना चाहिए।