लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी आगामी निकाय चुनावों में इस बार एक नया प्रयोग करने जा रही है. यह पहला मौका होगा जब भगवा ब्रिगेड मुस्लिम चेहरों पर दांव लगा सकती है. ऐसा करने के लिए पार्टी सिंबल और समर्थन दोनों विकल्पों पर विचार कर रही है. दरअसल, पसमांदा मुस्लिमों को अपने पाले में लाने के लिए भाजपा यह दांव खेलने की तैयारी में है. इसे आगामी लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के नए प्रयोग के रूप में देखा जा रहा है.
प्रदेश में जल्द निकाय चुनाव होने हैं. भाजपा जोर-शोर से इसकी तैयारी में लगी है. 2014 से चुनावी ट्रैक रिकार्ड देखें तो पार्टी यूपी में चुनाव दर चुनाव अपना वोट बैंक और दायरा बढ़ाती रही है. इस सिलसिले को भगवा दल निकाय चुनावों में भी बरकरार रखना चाहता है. यूं तो आरएसएस ने काफी पहले ही पसमांदा मुस्लिमों के बीच काम करना शुरू कर दिया था लेकिन अब भाजपा भी इस मुद्दे को लेकर मुखर है. हाल ही में कई पसमांदा मुस्लिमों के कई सम्मेलन भी पार्टी ने किए हैं. पार्टी इस दांव के जरिए मुस्लिमों में विकास की दौड़ में पिछड़े बड़े तबके को अपनी ओर खींचना चाहती है.
इसके लिए निकाय चुनावों में मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर पसमांदा मुस्लिमों पर ही दांव लगाने की तैयारी है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि सिंबल और समर्थन दोनों विकल्पों पर मंथन हो रहा है. तमाम जगहों पर पार्टी अपने सिंबल पर मुस्लिमों को प्रत्याशी बना सकती है तो दूसरी ओर जहां ऐसी स्थिति न बन सके तो वहां कुछ मुस्लिम चेहरों को समर्थन भी दिया जा सकता है. पार्टी यह प्रयोग उन इलाकों में करेगी, जहां मुस्लिम बाहुल्य सीटें हैं और पहले कभी भाजपा वहां जीत हासिल नहीं कर सकी है. पार्टी का यह नया प्रयोग निकाय चुनाव में सफल हुआ तो इसका लाभ उसे आगामी लोकसभा चुनावों में भी मिल सकता है.
हालांकि पार्टी के भीतर ही कुछ लोगों की राय इससे जुदा है. प्रदेश अध्यक्ष भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा कुंवर बासित अली ने बताया कि मुसलमानों को भाजपा से कोई परहेज नहीं है. खासतौर से पसमांदा मुस्लिमों के पिछड़ेपन के लिए विरोधी दलों की सरकारें जिम्मेदार हैं. इस बार निकाय चुनाव में पार्टी इन लोगों को अपने सिंबल पर लड़ाने पर विचार कर रही है.