उन्नाव में सोने के खजाने की भविष्यवाणी करने वाले बाबा शोभन सरकार नहीं रहे, लगा भक्तों का तांता

कानपुर। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में गांव डौंडिया खेडा में टनों सोने के भंडार की भविष्यवाणी करने वाले बाबा शोभन सरकार का बुधवार सुबह देहांत हो गया है। बाबा शोभन सरकार ने तड़के अपने आश्रम स्थित आरोग्य धाम अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके देहांत की खबर लगने के बाद लोगों की भीड़ कोरोना का खौफ भूल गई और लॉकडाउन की परवाह किए बगैर आश्रम की ओर उमड़ पड़ी।

विख्यात शोभन मंदिर के महंत विरक्तानंद सरस्वती का बुधवार सुबह निधन हो गया। जानकारी मिलते ही अंतिम दर्शन के लिए भारी संख्या में भक्त मंदिर पहुंचे। शोभन सरकार का अंतिम संस्कार चौबेपुर के सुनौहरा आश्रम में गंगा किनारे होगा। महंत विरक्तानंद सरस्वती शोभन सरकार के नाम से विख्यात थे। उन्नाव के डौंडिया खेड़ा में सोने का खजाना की भविष्यवाणी कर चर्चा में आए थे। साथ ही देश-विदेश की मीडिया की सुर्खियों में रहे थे।

शोभन सरकार का वास्तविक नाम महंत विरक्तानन्द था। इनका जन्म जन्म कानपुर देहात के शिवली में हुआ था। पिता का नाम पंडित कैलाशनाथ तिवारी था। कहते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में वैराग्य प्राप्त हो गया था। शोभन सरकार ने गांव के लोगों के लिए कई तरह के जनहित के काम किए हैं। यही वजह है कि गांव वाले भी उन्हें अब भगवान की तरह मानने लगे हैं। कानपुर ही नहीं आसपास के कई जिलों तक में उनके भक्त हैं।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शोभन सरकार के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

Akhilesh Yadav

@yadavakhilesh

‘ शोभन सरकार ‘ स्वामी विरक्त आनंद महाराज जी का देहावसान अत्यंत दुःखद!

ईश्वर संत आत्मा को शांति एवं उनके लाखों अनुयाइयों को इस कठिन समय में शक्ति प्रदान करे।

भावभीनी श्रद्धांजलि !

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सोने का भंडार होने का सपना देखा सुर्खियों में आए

शोभन सरकार ने वर्ष 2013 में उन्नाव जिले के डौंडिया खेड़ा गांव में राजा राव रामवख्श के खंडहर हो चुके महल में 1000 टन सोने का भंडार होने का सपना देखा। उन्होंने प्रदेश सरकार को जानकारी दी थी इस महल के भूगर्भ में हजारों टन सोना दबा है। इसके बाद एएसआई ने 18 अक्टूबर को राजा राव रामबख्श के खंडहर महल में खुदाई शुरू कराई। जियोलॉजिकल ऑफ इंडिया ने एएसआई को 29 अक्टूबर को रिपोर्ट दी थी, जिसमें उसने कहा था कि महल के नीचे सोना, चांदी या अन्य धातु दबी हो सकती है। करीब एक महीने तक चली खोदाई का काम काम 19 नवंबर, 2013 को पूरा हुआ। इस काम में प्रदेश सरकार के 2.78 लाख रुपये खर्च हो गए, लेकिन सोना का भंडार न मिलने पर खोदाई को रोक दिया गया था।