आजमगढ़ : आज ही के दिन विवाह-बंधन में बंधे थे रमा और शत्रुघ्न, पुरे हुए 50 वर्ष, जानिये इनके संघर्ष की कहानी
लगभग 6 दशक पहले आजमगढ़ के ग्राम अंचल से एक परिवार के चाचा-भतीजा जिला मुख्यालय पर आएं। चाचा ने शोषितों और पीड़ितों की आवाज़ उठाने के लिए पत्रकारिता क्षेत्र में क़लम चलाई। तो भतीजे ने शोषितों और दबे- कुचलों के हक और हुकूक के लिए कानून का सहारा लिया। चाचा ने आजमगढ़ से रणतूर्य जैसे अख़बार की शुरुआत की तो भतीजे ने विधि-व्यवसाय को चुना।
जी हां बात हो रही है, रणतूर्य के संपादक स्व धनुषधारी सिंह और पूर्वांचल के प्रतिष्ठित विधिवेत्ता शत्रुघ्न सिंह की। आज श्री शत्रुघ्न सिंह एडवोकेट के विवाह-बंधन के पचास बरस बीत गएं।
व्यक्ति, व्यवस्था या फिर रिश्ता ही क्यों न हो,
50 बरस का समय बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। उसका सफल निर्वाह बहुत बड़ी सफलता होती है, सफलता से कहीं ज्यादा सार्थकता। इन रिश्तों की एक-एक दिन की संघर्ष की अपनी गाथा हैं, ज़िन्दगी इतनी आसान तो कभी किसी की नहीं रही। फिर इस परिवार की कैसे रहती। लेकिन हर दुख-सुख में रामा का हमसफ़र का हमसाया बन कर साथ निभाते जाना ज़िन्दगी को स्वर्ग जरुर बना देती है। शत्रुघ्न सिंह को गढ़ने में जितना चाचा जी का हाथ रहा, उनसे कम उनकी धर्मपत्नी रमा का नहीं। वैसे भी किसी आदमी की सफलता में किसी नारी का हाथ होता है। शत्रुघ्न सिंह की सफलता में भी उनकी पत्नी का हाथ है। इस दंपति ने अपने दोनों पुत्रों को संस्कारित ही नहीं, काबिल भी बनाया। बड़ा पुत्र Dr Amit Singh ने एक सफल चिकित्सक बन मां-बाप के सपने को ही पूरा नहीं किया, बल्कि लाखों युवाओं की आंखों को सपने भी दिया तो छोटे पुत्र Avinash Singh ने Rama Multi Speciality Hospital का प्रबंध निदेशक बन चिकित्सा सेवा को स्वर दिया।
।इस सफ़र को रामकथा की आयु लगें। इस जोड़ी पर शिव-पार्वती की कृपा बनी रहे। पूर्वांचल के प्रतिष्ठित विधिवेत्ता अधिवक्ता Shatrughan Singh और श्री मती रमा सिंह को शादी की 50वीं वर्षगांठ की हृदयतल से बधाईयां। हार्दिक शुभकामनाएं सर!! बच्चों पर आशीर्वाद बना रहे।
– डॉ अरविन्द सिंह।