जौनपुर। लाइन बाजार थाना क्षेत्र में अपहरण व रंगदारी के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम मनोज कुमार ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए बुधवार को आरोपित पूर्व सांसद धनंजय सिंह की जमानत अर्जी निरस्त कर दी। वादी प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंहल ने प्राथमिकी दर्ज कराया था कि पूर्व सांसद के कहने पर आरोपित विक्रम व अन्य ने बलपूर्वक उनका अपहरण किया तथा पूर्व सांसद के घर ले गए।
वहां सांसद पिस्टल लेकर आए और जबरन वादी की फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने को कहा। इन्कार करने पर भद्दी गालियां व धमकी दी तथा रंगदारी मांगी। घटना की एफआइआर 10 मई को दर्ज हुई। रात में सांसद की गिरफ्तारी हुई। दूसरे दिन कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। मजिस्ट्रेट कोर्ट से जमानत अर्जी निरस्त होने के बाद सेशन कोर्ट में जमानत प्रार्थना पत्र दिया गया। जहां कोर्ट ने जमानत अर्जी निरस्त कर दी।
आरोपों से पलट गए थे नमामि गंगे परियोजना के प्रोजेक्ट मैनेजर
इससे पूर्व नमामि गंगे परियोजना के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल मुकदमा दर्ज कराते समय लगाए गए आरोपों से पलट गए थे। पुलिस महानिदेशक से लेकर अन्य आला अफसरों व अदालत तक में दरखास्त देकर वादी ने कहा था कि पूर्व सांसद ने न तो उनका अपहरण कराया था और न ही रंगदारी मांगी थी। हालांकि वादी के मुकदमा वापस लेने की मांग को कोर्ट ने यह कहते हुए वापस कर दिया था कि यह उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। अभिनव सिंघल की तहरीर पर 10 मई की रात साढ़े दस बजे लाइन बाजार थाना क्षेत्र में मुकदमा दर्ज हुआ और आधी रात के बाद पुलिस ने आवास पर दबिश देकर जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह व विक्रम सिंह को गिरफ्तार कर लिया था।