आजमगढ़ : राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर डीएम ने बच्चों को खिलाई  पेट के कीड़े निकालने की दवा

आजमगढ़- 10 अगस्त 2023|
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर जिलाधिकारी (डीएम) विशाल भारद्वाज ने बच्चों को पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाकर प्राथमिक विद्यालय जाफरपुर पल्हनी में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ किया | स अवसर पर उन्होंने कहा कि बच्चों के शीरीरिक व मानसिक विकास के लिए यह दवा बहुत उपयोगी है। पेट में कीड़े होने से बच्चे कई बीमारियों का शिकार हो जाते हैं, जिससे उनका शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित हो जाता है।  जिले के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों एवं समस्त आंगनबाड़ी केन्द्रों पर एक से 19 वर्ष तक के बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को पेट के कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल खिलाई गई|
इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आई एन तिवारी ने बताया कि इस दवा के सेवन न करने से पेट में होने वाले कीड़े या कृमि से बच्चों के शरीर में पोषण की कमी हो जाती है | जिससे बच्चे शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगते हैं| बच्चे के कमजोर शरीर में अनेक बीमारियां जैसे खून की कमी (एनीमिया) कुपोषण इत्यादि होने लगता है|
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एनडीडी) डॉ वाई प्रसाद ने बताया की बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं| इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं| इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं| अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण यही हजम कर जाते हैं| जिससे खून की कमी हो जाती है,क्योंकि इन बच्चों एवं किशोर-किशोरियों में संक्रमण से खून की कमी होती है,जिससे मानसिक एवं शारीरिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है| कृमि के कारण कुपोषण का खतरा और शारीरिक विकास पर खास असर पड़ता है| उन्होंने बताया कि जनपद में कुल 25 लाख से अधिक बच्चों को कृमि नियंत्रण के लिए एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी| वहीं छूटे हुये बच्चों को 17 अगस्त को मॉपअप राउंड में गोली खिलाई जाएगी|
अतरौलिया ब्लॉक की आशा संगिनी कंचन पाण्डेय ने बताया कि हम लोगों को दवा खिलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था| स्कूल जाने एवं न जाने वाले वाले एक से 19 साल के सभी बच्चों को दवा खिलाई गयी | जो बच्चे इस अभियान से छूट जाएंगे उन्हें 17 अगस्त को मॉप अप राउंड में दवा खिलाई जाएगी|
प्राथमिक विद्यालय अतरौलिया के सात वर्षीय लाभार्थी सोनू की माँ ने बताया कि मेरे बच्चे को उसके स्कूल में कृमि मुक्ति की दवा खिलाई गई है| दवा सेवन के दौरान और घर आने के बाद भी कोई दिक्कत नहीं हुई है|
डॉ वाई प्रसाद ने बताया कि कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है| जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं जैसे- हल्का चक्कर  आना, थोड़ी घबराहट,सिर दर्द,दस्त,पेट में दर्द,कमजोरी,मितली,उल्टी या भूख लगना| इससे घबराना नहीं है| दो से चार घंटे में स्वतः ही यह परेशानी समाप्त हो जाती है|