लखनऊ:थारू जनजाति संस्कृति संग्रहालय के संचालन हेतु एमओयू हस्ताक्षरित होगा-जयवीर सिंह

थारू जनजाति संस्कृति संग्रहालय के संचालन, प्रबंधन एवं रख-रखाव हेतु दीनदयाल शोध संस्थान (डी0आर0आई0) नई दिल्ली के साथ एमओयू हस्ताक्षरित होगा-जयवीर सिंह

न्यूज ऑफ इंडिया (एजेन्सी)

लखनऊ: 29 अगस्त, 2023

जनपद बलरामपुर के इमिलिया कोडर में नवनिर्मित थारू जनजाति संस्कृति संग्रहालय के संचालन, प्रबंधन एवं रख-रखाव के लिए दीनदयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली (डी0आर0आई0) को हस्तान्तरित करने के लिए कतिपय शर्तों के आधार पर राज्य सरकार एवं डी0आर0आई0 के मध्य एमओयू हस्ताक्षरित करने का निर्णय लिया गया है। यह एमओयू 30 वर्ष की अवधि के लिए होगा। इसके उपरान्त आगे की अवधि बढ़ाये जाने के लिए संस्कृति विभाग उ0प्र0 शासन द्वारा निर्णय लिया जायेगा।
यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने आज यहां दी। उन्होंने बताया कि एमओयू निष्पादित करने हेतु आवश्यक प्रक्रिया पूरी करने के लिए प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति उ0प्र0 श्री मुकेश कुमार मेश्राम की ओर से निदेशक उ0प्र0 संग्रहालय निदेशालय लखनऊ को 24 अगस्त, 2023 को पत्र प्रेषित करा दिया गया है। निर्देशों में कहा गया है कि संस्कृति विभाग उ0प्र0 (प्रथम पक्ष) जनपद बलरामपुर स्थित थारू जनजाति संस्कृति संग्रहालय इमिलिया कोडर, जनपद बलरामपुर विकासकर्ता और उसे इसके उपयोग आवंटन, विकास एवं नियोजन का पूर्ण अधिकार है।
प्रमुख सचिव पर्यटन ने पत्र में यह भी कहा है कि प्रबंधकीय पक्ष दीनदयाल शोध संस्थान (डी0आर0आई0) (द्वितीय पक्ष) सोसाइटी रजिस्टेªशन अधिनियम 1860 के अंतर्गत पंजीकृत संस्था है। संस्था का उद्देश्य कार्यक्षेत्र एवं संस्था के स्मृति पत्र इस अनुबंध के भाग होंगे। दीनदयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली इस भूमि का मूल स्वामी है। इस संस्कृति संग्रहालय को उ0प्र0 की जनजातियों के संरक्षण, कल्याण, संवर्द्धन एवं उन्नयन हेतु थारू जनजाति संस्कृति संग्रहालय का निर्माण कराया गया है। जिसके अंतर्गत गैलरी, प्रेक्षागृह, खुलामंच, कार्यशाला कक्ष, गेस्ट हाउस, स्टाफ रूम, कार्यालय कक्ष आदि सम्मिलित हैं।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि थारू जनजाति संस्कृति संग्रहालय, लोक कलाओं, संस्कृति एंव शिल्प के क्षेत्र में शोध के विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ जनजाति कला एवं संस्कृति को पुनर्जीवित कर संरक्षित करेगा। संग्रहालय विलुप्त होती लोक संस्कृति, सांस्कृतिक विधाओं, लुप्तप्राय कलारूपों, लोकरूपों तथा लोक संस्कृति के विविध पक्षों का संरक्षण एवं अभिलेखीकरण करेगा। इस संग्रहालय में प्रदर्शित किये जाने हेतु प्रदर्श दान, उपहार आदि प्राप्त किये जा सकेंगे तथा योगदान कर्ताओं के नाम संग्रहालय में अंकित किये जायेंगे। थारू जनजाति संस्कृति संग्रहालय जनजाति संस्कृति पर्यटन/ग्रामीण संस्कृति पर्यटन को बढ़ावा देने एवं पर्यावरण संरक्षण, खान-पान, पोशाक, साहसिक, पारम्परिक खेलों का संरक्षण, पारम्परिक स्थानीय कारीगरी का संरक्षण एवं संवर्द्धन कर स्वालम्बन/स्वरोजगार के अवसर सृजित कराने का सेतु बनेगा।
थारू जनजाति संस्कृति संग्रहालय स्थित भवन एवं परिसर का प्रबंधन, आवंटन, रख-रखाव, दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा गठित प्रबंध समिति के माध्यम से किया जायेगा। इस संग्रहालय से प्राप्त होने वाली समस्त आय के साथ-साथ अन्य स्रोतों से प्राप्त समस्त आय तथा होने वाले समस्त व्ययों की ऑडिट हर वर्ष प्रबंध समिति द्वारा कराई जायेगी। इस संग्रहालय का नाम डीआरआई द्वारा बिना संस्कृति विभाग के अनुमति के संशोधित अथवा बदला नहीं जायेगा। इस संग्रहालय द्वारा सम्पत्ति का उपयोग निष्पादित करार की शर्तों के अनुरूप ही किया जायेगा।