नरसिंहपुर: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के खिलाफ जंग में लोगों को जागरूक करने तरह-तरह के योद्धा निकलकर सामने आ रहे हैं। कोई घर से बाहर निकलकर जरूरतमंदों को मदद कर रहा है, तो कुछ घर में ही रहकर स्टे होम की थीम पर जागरूकता और महामारी से लड़ने वाले योद्धाओं जैसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अनेको हस्तियों के प्रति कैनवास पर रंग उकेर कर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट कर रहे हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक कोरोना वारियर से रूबरू कराने जा रहे हैं। इस समय जब शासन, सामाजिक संगठन आदि अपने अपने स्तर से कोरोना महामारी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ रहे हैं। जिनको हम कोरोना वारियर्स कहकर उनका सम्मान भी कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इस महामारी के खिलाफ अपने तरीके से लोंगों को जागरूक करने में लगे हुए हैं। ऐसे ही एक कलाकार है जो की मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले से अपने तरीके से कैनवास पर चित्रकारी करके लोगों को कोरोना वायरस से बचाव के तरीके बता रहे हैं।कोलाज तकनीक हो या फिर वाटर-आयल कलर, ये कलाकार इनके माध्यम से कैनवास पर मानव संवेदनाओं को उकेरते हैं। जिसमें चुनौतियो से संघर्ष, शोषण का प्रतिकार, महिलाओं सैनिकों का सम्मान और इंसानियत के साथ-साथ प्रकृति प्रेम की झलक एवं बॉलीवुड हस्तियों की झलक देखने को मिलती है।
ये हैं मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के शासकीय महिला महाविद्यालय में चित्रकला विषय के विभागाध्यक्ष डॉ यतींद्र महोबे इन दिनों कोरोना जनजागरण पर अपने बनाए गये चित्रों को लेकर ये बहुत चर्चाओं में हैं। मूलतः बालाघाट जिले के रहने वाले राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त कर चुके डॉ यतींद्र महोबे ने हमसे चर्चा करते हुए बताया, कि अपने चित्रों के माध्यम से उनकी कोशिश देखने वालों के लिए सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने की रहती है। चित्रकारी में उनकी प्रिय तकनीक कोलाज है। जिसमें रंगों के बजाय रंगीन पत्र-पत्रिकाओं की कटिंग के जरिए कैनवास पर मूर्त रूप दिया जाता है। इस तकनीक से डॉक्टर महोबे अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पुलवामा उरी अटैक में शहीदों को नमन सहित बेटी बचाओ पर केंद्रित नारी के अद्भुत बल को साकार रूप दे चुके हैं।
शिक्षक पिता ने यतींद्र की भावनाओं का किया था सम्मान…
डॉ यतींद्र महोबे के पिता स्कूल में गणित के शिक्षक थे यतींद्र को बचपन से ही चित्रकारी का बहुत शौक था। जिसे उनके माता-पिता ने खूब प्रोत्साहित भी किया डॉक्टर यतीन्द्र के माता-पिता ने खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय से चित्रकला का कोर्स करने के लिये उनको प्रेरित भी किया। कक्षा बारहवीं के बाद उन्होंने यहां एडमिशन लेकर चित्रकला की हर बारीकी को सीखा। वर्ष 2002 में चित्रकारी में उन्होंने स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की इसके बाद इनका चयन सहायक प्राध्यापक चित्रकला के लिए हो गया वर्ष 2004 से यह नरसिंहपुर के महिला महाविद्यालय में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वर्ष 2013 में इन्होंने चित्रकला में पीएचडी की उपाधि भी हासिल की उनके मार्गदर्शन में विभाग की छात्राएं प्रतिवर्ष जिला व राज्य स्तर पर ललित कला स्पर्धाओं में पहला स्थान प्राप्त करती आ रही है।
चित्रकला को कैरियर के लिए कुछ ज्यादा अच्छा नहीं समझा जाता बावजूद इसके डॉ यतीन्द्र के पिता ने अपने पुत्र की चित्रकला में रूचि देखते हुए उन्हें इस क्षेत्र में कैरियर बनाने की ना केवल सलाह दी बल्कि उनके साथ हमेशा कदम से कदम मिलाकर चलते रहे। डॉक्टर महोबे की यह पृष्ठभूमि उन अभिभावकों के लिए प्रेरक है। जो वर्तमान प्रतिस्पर्धा के दौर में अपने बच्चे की रुचि अभिरुचि की परवाह ना करते हुए उनके कैरियर निर्माण में अपनी इच्छाओं को सौंपकर उन्हें तनाव ग्रस्त करते हैं।