नई दिल्ली। दिल्ली में पकड़ा गया पाकिस्तानी जासूस आबिद हुसैन ट्रेन से सेना की टुकड़ी के आवागमन के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश में था। इसके लिए उसने फर्जी नाम से रेलवे के एक कर्मचारी से संपर्क भी स्थापित कर लिया था। लेकिन वह कोई अहम जानकारी ले पाता, उससे पहले ही दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ गया।
दिल्ली पुलिस ने जासूसी में पाकिस्तान उच्चायोग के दो अधिकारियों आबिद हुसैन और मुहम्मद ताहिर को रविवार को उस वक्त पकड़ा था, जब ये दोनों पैसे के बदले एक व्यक्ति से भारत की सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील दस्तावेज लेने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस ने बताया कि हुसैन कई फर्जी पहचान पत्रों की आड़ में काम करता था। वह सरकारी विभागों में काम करने वाले लोगों को अपनी जाल में फंसाने की कोशिश करता रहता था।
पुलिस के मुताबिक आबिद हुसैन गौतम के नाम से एक मीडियाकर्मी का भाई बनकर रेलवे में काम करने वाले एक कर्मचारी से संपर्क स्थापित कर लिया था। उसने रेलवे के कर्मचारी को बताया था कि उसका भाई भारतीय रेलवे पर एक स्टोरी बना रहा है और उसके लिए ट्रेनों की गतिविधियों के बारे में सूचनाएं चाहिए। उसकी असल मंसा रेलकर्मी को फंसाकर उससे ट्रेन के जरिए सेना के आवागमन और हार्डवेयर की जानकारी लेने की थी।
गिरफ्तारी के बाद दोनों को पर्सोना नॉन ग्राटा (अवांछित) घोषित कर दिया गया था और उन्हें 24 घंटे में देश छोड़ने को कहा था। दोनों जासूस वाघा वार्डर के जरिए सोमवार को पाकिस्तान लौट गए।
वहीं, सरकारी सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस की तरफ से हुसैन और मुहम्मद ताहिर को यातना नहीं दी गई और इस संबंध में पाकिस्तान का आरोप बेबुनियाद है। पाकिस्तान ने यह भी मानने से इन्कार कर दिया कि उसके दोनों अधिकारी जासूसी कर रहे थे। पाकिस्तान ने सोमवार को इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के वरिष्ठ राजनयिक को बुलाकर दोनों को निकालने पर विरोध जताया।