आजमगढ़ 27 जून — जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा0 उमेश कुमार गुप्ता ने बताया कि 26 जून 2020 को पूर्वान्ह से ही जनपद के विकास खण्ड मार्टिनगंज, अहरौला, पवई, में जौनपुर की तरफ से तथा विकास खण्ड लालगंज में वाराणसी की तरफ से जनपद में टिड्डी दल का प्रवेश हुआ। पवई, अहिरौला से होते हुये जनपद अम्बेडकर नगर एवं विकास खण्ड मिर्जापुर से तहसील निजामाबाद एवं तहसील सदर होते हुये जनपद मऊ तथा पल्हना, तरवाॅ होते हुये जनपद गाजीपुर की तरफ टिड्डी दल आगे बढ़ गयी।
जिला प्रशासन, कृषि विभाग, समस्त विकास विभाग, राजस्व विभाग के द्वारा थाली, ढोल, नगााड़े, घण्टियां, डी0जे0 एवं पटाखे आदि बजाकर टिड्डी को भगाया गया।
जिलाधिकारी द्वारा टिड्डी दल के नियन्त्रण के लिये तहसीलवार आठ टीमों का गठन किया गया, जिसमें समस्त उपजिलाकारी, समस्त तहसीलदार, समस्त खण्ड विकास अधिकारी, एवं जनपद स्तर से जिला कृषि अधिकारी, भूमि संरक्षण अधिकारी ऊसर सुधार, जिला गन्ना अधिकारी, ए0आर0 कोआॅपरेटिव, जिला कार्यकारी अधिकारी मत्स्य एवं कृषि विज्ञान केन्द्र से तीन कृषि वैज्ञानिक डाॅ0 आर0के0 सिंह, डाॅ0 के0एम0 सिंह और डाॅ0 आर0पी0 सिंह को लगाया गया।
विकास खण्ड अहिरौला के ग्राम गोपाली पट्टी में टिड्डी दल के रात में प्रवास करने की सूचना पर जिला गन्ना अधिकारी, उप जिलाधिकारी बुढ़नपुर रात 12 बजे अपनी टीम के साथ पहॅुचे, लेकिन वहाॅ पर टिड्डी दल नहीं रुकी थी। विकास खण्ड मार्टिनगंज के ग्राम सिकरौर में टिड्डी दल की सूचना मिलने पर आज दिनांक 27 जून 2020 को प्रातः 5ः00 बजे उप जिलाधिकारी, तहसीलदार मार्टिनगंज, कृषि विज्ञान केन्द के वैज्ञानिक डाॅ0 आर0 के0 सिंह एवं कृषि विभाग की टीम मौके पर पहॅुची, वहाॅ पर भी टिड्डी दल का प्रवास नहीं पाया गया।
विकास खण्ड जहानागंज के ग्राम जिगर सिण्डी एवं जलालपुर में टिड्डी दल होने की सूचना पर जिला कृषि अधिकारी, भूमि संरक्षण अधिकारी ऊसर सुधार एवं भारत सरकार की टीम प्रातः 4ः00 बजे जलालपुर पहॅची वहाॅ पर टिड्डी दल का प्रवास नहीं मिला। उसके बाद प्रातः 5.30 बजे टीम जिगर सिण्डी, वहाॅ पर बहुत कम संख्या में टिड्डी दल थे, जिस पर भारत सरकार की टीम ने दवा का छिड़काव किया गया। उसके पश्चात विकास तरवाॅ के ग्राम जमीरपुर, हरौड़ा, प्रजापतिपुर में टिड्डियों की प्रवास होने की जानकारी दूरभाष पर प्राप्त होने पर उप जिलाधिकारी, तहसीलदार मेहनगर कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डाॅ0 आर0 पी0 सिंह, भारत सरकार की टीम, भूमि संरक्षण अधिकारी ऊसर सुधार, जिला कृषि अधिकारी, ग्राम हरौड़ा पहुॅच कर अग्नि शमन के टैंकर में कीटनाशक घोलकर पेड़ों और खेतों में छिड़काॅव कराकर टिड्डी दल को नष्ट किया गया। ग्राम जमीरपुर, प्रजापतिपुर एवं ग्राम जुआॅ का भ्रमण किया गया।
आज प्र्रातः 10ः00 बजे टिड्डी दल के मऊ के तरफ से सठियांव, अजमतगढ़ में टिड्डी दल आने की सूचना कृषकों द्वारा प्राप्त हुई, लेकिन हवा का रुख पश्चिम से पूरब, उत्तर की तरफ होने के कारण जनपद मऊ एवं गोरखपुर की तरफ चली गयी।
जनपद में टिड्डी दल की आने की सम्भावना बनी हुई है। जिलाधिकारी द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में तैनात कृषि विभाग, राजस्व विभाग एवं विकास विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निरन्तर कृषकों से सम्पर्क बनाये रखने के निर्देश दिये गये है ताकि टिड्डी दल के बारे में जानकारी प्राप्त होती रहे।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि टिड्डी दल एक साथ लाखांे की संख्या में गमन करते है। जिस क्षेत्र में इनका आक्रमण होता है वहाॅ के क्षेत्र की हरियाली चट कर विरान कर देते है। इस कीट की वयस्क टिड्डियाॅ हवा की दिशा में एक दिन में 100 से 150 कि0मी0 की दूरी तय कर लेती है। टिड्डी दल प्रायः सूर्यास्त के समय किसी न किसी पेड़ पौधों पर सूर्योदय होने तक आश्रय लेते है। आश्रय के समय ही समस्त वनस्पतियों को आर्थिक नुकसान पहुॅचाते है। एक मादा टिड्डी भूमि में 500 से 1500 अण्डे देकर सुबह उड़ जाती है। इनके नियन्त्रण के लिये संस्तुत रसायनों के छिड़काव का सबसे उपयुक्त समय रात्रि 11ः00 बजे से सुबह 9ः00 बजे तक होता है।
टिडडी से नियन्त्रण हेतु विभिन्न उपाय है जिसमें यांत्रिक विधि कें अन्तर्गत टिड्डी दल को खेतों के आस-पास दिखाई देते ही किसान भाई टोलियाॅ बनाकर सायं काल के समय थाली, ढोल, नगााड़े, घण्टियां, डी0जे0 एवं पटाखे आदि की तेज आवाज करके इनको भगा सकते है। प्रकाश प्रपंच का प्रयोग कर भी टिड्डियों को एकत्रित करके नष्ट किया जा सकता है। टिड्डी दल के आकाश में दिखाई देने पर घास-फूस जलाकर धूआॅ करें। टिड्डी दल के आक्रमण के पश्चात कीटनाशक उपलब्ध न होने की दशा में टैªक्टर चालित पावर स्प्रेयर के द्वारा पानी की तेज बौछार से भी इन्हे भगाया जा सकता है।
जैविक विधि के अन्तर्गत नियंत्रण के लिये कृषक भाई एजाडीरेक्टीन (नीम आॅयल) 1.50 से 2.00 ली0 प्रति हेक्टेयर 600 से 700 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़कांव करें।
रासायनिक नियंत्रण के अन्तर्गत टिड्डियों का प्रकोप होने पर क्लोरपायरीफाॅस 20 प्रतिशत ई0सी0 2.5 से 3 मिली0 प्रति ली0 पानी, क्लोरपायरीफाॅस 50 प्रतिशत ई0सी0 1.00 मिली0 प्रति ली0 पानी, लेम्बडा साइहेलोथ्रीन 5 प्रतिशत ई0सी0 400 मिली0 या बेन्थियोंकार्ब 80 प्रतिशत 125 ग्रा0, 500 ली0 पानी में प्रति हे0 की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें या फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत अथवा मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल 20 से 25 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह पत्तियों पर ओस देखकर बुरकाव करें, साथ ही साथ राख का बुरकाव करके भी क्षति को कम किया जा सकता है।……..जिला कृषि रक्षा अधिकारी द्वारा कृषि विभाग के समस्त प्राविधिक सहायकों को निर्देशित किया गया कि टिड्डी दल की स्थिति पर निगरानी रखें। तथा नामित नोडल अधिकारी से निरन्तर सम्पर्क बनायें रखें, साथ ही साथ किसानों को सलाह देते समय इस बात को अवश्य बतायें कि सब्जियों पर नियंत्रण के लिये रसायन का प्रयोग करने से बचें। टिड्डी दल के खेत में बैठने के उपरान्त उनके अण्डो को नष्ट करने हेतु खेत की गहरी जुताई कर दें। टिड्डी दल के आक्रमण होने की सूचना ग्राम प्रधान, लेखपाल कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों एवं ग्राम पंचायत अधिकारी के माध्यम से कृषि विभाग अथवा जिला प्रशासन तक तत्काल पहुचायें। इनके आक्रमण की दशा एवं रात्रि मेें 8 बजे के बाद टिड्डी दल के प्रवास के समय जनपद स्तर पर बने कन्ट्रोल रुम मोबाइल नं0 9919588753 एंव 9450809578 पर जानकारी उपलब्ध करायें या क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन केन्द्र, लखनऊ के फोन नं0 0522-2732063 अथवा अपर निदेशक कृषि रक्षा लखनऊ को फोन नं0- 0522-2205868 पर भी सूचित कर सकते है।