कृषि कार्य में इस नियमों का पालन ना करने वाले परिपालन न करने वाले कम्बाईन हार्वेस्टर मालिक हो जाएँ सावधान, अन्यथा भुगतनी पड़ सकती है सजा

आजमगढ़ 04 सितम्बर– प्रभारी उप कृषि निदेशक डाॅ0 उमेश कुमार गुप्ता ने बताया कि कृषि फसलों की कटाई हेतु मजदूरों की सीमित उपलब्धता, आधुनिक कृषि यंत्रों के माध्यम से समय एवं श्रम की बचत के दृष्टिगत कृषकों द्वारा कटाई एवं मड़ाई हेतु आधुनिक कृषि यंत्रों विशेष कर कम्बाईन हार्वेस्टर को तेजी से अपनाया जा रहा है। कम्बाईन हार्वेस्टर के प्रयोग से जहाँ श्रम एवं समय की बचत हो रही है, वहीं धान एवं गेहूँ जैसी फसलें जिसके अवशेष को पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है, में कमी स्पष्ट परिलक्षित हो रही है। इसका मुख्य कारण फसलों की कटाई लगभग एक फूट छोड़कर किया जाना है। खेतों में बचे इन फसल अवशेषों को सामान्यता कृषकों द्वारा जला दिये जाने की प्रवृत्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है।
फलस्वरूप इससे न केवल धरती का तापमान बढ़ रहा है, बल्कि पर्यावरण दूषित होने के साथ-साथ पशुओं में चारे की कमी एवं लाभदायक जीव-जन्तुआंे के नष्ट हो जाने से मृदा उर्वरता भी दूष्प्रभावी हो रही है। फसल अवशेष जलाये जाने का दूष्प्रभाव वायु प्रदूषण के रूप में धूप-कोहरा (स्माॅग) की मात्रा में वृद्धि होना है, जिससे न स्वास्थय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है बल्कि कतिपय स्थानों पर अग्नि काण्ड जैसे भयानक घटनाएँ भी घटित हो रही है।
माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा पारित आदेशों के क्रम में कृषि अपशिष्टों के जलाये जाने से रोकने हेतु कम्बाईन हार्वेस्टिंग मशीन के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम स्ट्रारीपर अथवा स्ट्राटेक एवं बेलर अनिवार्य कर दिया गया है।
प्रभारी उप कृषि निदेशक द्वारा अवगत कराया गया कि इसकी परिपालन न करने वाले कम्बाईन हार्वेस्टर मालिकों के विरूद्ध यंत्र सीज करते हुए प्रबन्धन यंत्रों को उनके व्यय पर इन्स्टाल कराया जायेगा। इसके अतिरिक्त कृषि अपशिष्टों को जलाने वाले दोषी व्यक्तियें को माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के क्रम में पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति हेतु नियमानुसार दण्ड देना पडे़गा।
उन्होने कहा कि कृषि भूमि का क्षेत्रफल दो एकड़ से कम होने की दशा में रू0- 2500 प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्रफल दो एकड़ से अधिक किन्तु पाँच एकड़ तक होने की दशा में रू0- 5000 प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्रफल पाँच एकड़ से अधिक होने की दशा में रू0- 15000 प्रति घटना देय है तथा राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम की धारा-24 के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति की वसूली एवं धारा-26 के अन्तर्गत उल्लंघन की पुनरावृत्ति होने पर सम्बन्धित के विरूद्ध कारावास एवं अर्थदण्ड लगाये जाने के सम्बन्ध में कार्यवाही की जायेगी।