सरकार की गलत नीतियों के कारण ही आज माली समाज अपने को ठगा महसूस कर रहा है-रमेश मधुकर

आजमगढ़। अखिल भारतीय श्रीमाली महासभा उत्तर प्रदेश के मंडल अध्यक्ष रमेश मधुकर श्रीमाली ने कहाकि प्रदेश सरकार की गलत नीतियों के कारण ही आज माली समाज अपने को ठगा महसूस कर रहा है। श्रीमाली समाज के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक उत्थान के लिए कई बार सरकार से महासभा ने मांग किया लेकिन सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। श्री मधुकर शनिवार को महासभा के जिलाध्यक्ष दिनेश श्रीमाली के अतलस पोखरा स्थित आवास पर पत्रकारों से रूबरू थे।
उन्होने कहाकि राज्य पिछड़ा वर्ग की सूची क्रमांक 43 पर अंकित माली, सैनी से  माली को हटाकर अलग क्रमांक पर माली/श्रीमाली करने व सभी शासकीय विभागों में माली पद नाम को बदलकर बागवान किये जाने की मांग की गयी थी। जिससे की जाति एवं कार्य में अंतर प्रदर्शित हो सकें और माली/श्रीमाली समाज के लोगों की ही इस पर नियुक्ति की जा सकें। प्रदेश सरकार की उदासीनता के कारण माली समाज के लोगों को अपना हक नहीं मिल पाया। जिससे समाज के लोगों में काफी रोष व्याप्त है। उन्होने कहाकि माली/श्रीमाली समाज के आर्थिक, शैक्षिक उत्थान के लिए सरकार अगर कोई निर्णायक कदम नहीं उठाती है तो समाज वृहद् आंदोलन करने को बाध्य होगा। जिसका खामियाजा सरकार को 2022 के विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। आगे कहाकि 22 मार्च को जिलाधिकारी के माध्यसे समाज के लोग मुख्यमंत्री को सम्बोधित 8 सूत्रीय मांग पत्र भेंजेंगे।
जिलाध्यक्ष दिनेश सैनी श्रीमाली ने कहाकि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग माली/श्रीमाली समाज के लोगों को प्रतिनिधित्व देने का मौका दिया जाना चाहिए। इसके अलावा जनसंख्या के सापेक्ष इनकी राजनैतिक भागीदारी भी सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होने मांग किया कि प्रदेश के सभी जिलों में भूमिहीन माली समाज के लोगों को फूल की खेती, बागवानी, औषधीय पौधों की खेती करने के लिए जमींनों का पट्टा कर उन्हे सरकारी अनुदान दिया जाय। मंदिरों/देवालयों के पास पूजन सामग्री, माला फूल के विक्रय के लिए माली/श्रीमाली समाज के लोगों को दुकानें आवंटित होनी चाहिए। इसके अलवा मंदिरों देवालयों के रख रखाव एवं पुरोहित/पुजारी के अधिकार समाज के लोगों को ही मिलनी चाहिए। उन्होने कहाकि प्रदेश सभी शहरों में फूल मंडी/पुष्प विक्रय के लिए एक निश्चित स्थान बनाया जाना चाहिए। उसे माली समाज के लोगों को आवंटित किया जाय। साथ ही पुष्पकला बोर्ड की स्थापना कर समाज के लोगों को उसका अध्यक्ष बनाया जाय।