ईसाई समाज में ईस्टर त्योहार का बहुत महत्व है । ईस्टर का त्योहार गुडफ्राइडे के बाद आता है ऐसा माना जाता है कि प्रभु यीशु मसीह की सलीबपर मौत हुई थी और ईसाई लोगों का मानना है कि प्रभु यीशु मसीह तीसरे दिन जी उठे थे । बाइबिल में लूका 24-1.8 मे लिखा है यीशु मसीह के जीवित होने के बारे में वर्णन है । मृत्यु के बाद युसुफ नाम का एक सदस्य जो अरमितिया का रहने वाला था पिलातुस राजा से यीशु का शव मांगा एउसे सलीब से उतारकर मलमल की चादर में लपेट कर एक कब्र में रखा उस कब्र में कभी किसी को नहीं गाड़ा गया था। उसमें प्रभु यीशु मसीह का शव रखकर कब्र के मुंह पर पत्थर रख दिया आज भी ईसाई लोगों को कब्र में गाड़ा जाता है कब्र को पक्की करते हैं यही
सब स्त्रियां जो उसके साथ गलील से आयी थी देख रही थी ए पीछे पीछे जाकर उस कब्र को देखा ।वह लौटकर सुगंधित वस्तुएं और इत्र तैयार किया । तीसरे दिन सुगंधित वस्तुओं को लेकर कब्र पर गयी उन्होंने पत्थर को कब्र पर से लुढ़का हुआ पाया ए।भीतर जाकर देखा प्रभु यीशु मसीह का शव नहीं था तो वह भौचक्की रह गयी । स्त्रियों ने देखा दो पुरुष झलकते वस्त्र पहने उनके पास आकर खड़े हो गये तब उन स्वर्ग दूतों ने उनसे कहा कि श्तुम जीवते को मरे हुए में क्यों ढूढती होघ्वह यहां नहीं परन्तु जी उठा है ।याद करो उसने गलील में रहते हुए तुमसे क्या कहा था श्अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाये और क्रुस पर चढ़ाया जाये और तीसरे दिन जी उठे श्तब उन स्त्रियों ने उनके चेलों को जाकर जल्दी से बताया ।तब पतरस दौड़कर कब्र पर आया ।वह उसे कब्र में न पाया तो आश्चर्य करते हुए घर लौट गया । चालीस दिन तक प्रभु यीशु मसीह संसार में अपने चेलों के साथ रहे एचेले विश्वास नहीं कर रहे थे तब प्रभु यीशु मसीह ने कहा कहा मेरे हाथ पांव छूकर देखो आत्मा को हड्डी मांस नहीं होता है जैसे मुझमें देखते हो तब उन्होंने खाकर दिखाया तब चेलो ने विश्वास कियाए बाद में बादलों पर प्रभु यीशु मसीह कोउठा लिये गया ऐसा ईसाई लोग विश्वास करते हैं
ये ईसाई लोग मानते हैं आज भी सुबह भोर में ईसाई लोग ईस्टर के दिन चार बजे भोर में स्थानीय कब्रिस्तान पर जाते हैं मोमबत्ती जलाते हैं और दुआ अपने पूर्वजों के लिए करते है ।वह प्रभु यीशु मसीह की याद में कब्रिस्तान पर जाते फिर डान सर्विस ;सुबह की आराधना द्धहोती है उसके बाद एक जगह चाय नाश्ते का इंतजाम होता है जिसमें बंद और उबला अंडा खाने की प्रथा है अंडे को कब्र का प्रतीक मानते हैं जैसे अंडे का छिलका तोड़ते हैं वैसे ही पहले कब्र के मुंह पर पत्थर रखा जाता था उसे प्रभु यीशु मसीह कब्र के पत्थर को तोड़कर निकल आये थे यानि मृत्यु पर विजय पायी थी ।अंडा उसी का प्रतीक माना जाता है और कब्रिस्तान में लोग ईस्टर की भोर में मोमबत्ती जलाते हैं ये परम्परा है इसी विश्वास पर ईस्टर मनाया जाता है कि प्रभु यीशु मसीह तीसरे दिन जी उठे थे । ईस्टर इसीलिए मनाया जाता है