ये है डी-9 गैंग की कहानी
मऊ ही नही पूर्वांचल में कभी अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह रहे धर्मेंद्र सिंह के गैंग को पुलिस ने डी-09 नाम दिया था। धर्मेंद्र के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद सुजीत सिंह बुढ़वा ने डी-9 की कमान संभाली। उसके भी पुलिस मुठभेड़ में ढेर होने के बाद विनोद यादव लालू ने गैंग को विस्तार ही नहीं दिया वरन उससे कई कदम आगे बढ़ गया था
पुलिस ने तब सुजीत बुढ़वा के गैंग डी-9 का नाम बदलकर आईआर-9 ‘इंटर रेंज’ लालू गैंग कर दिया था।
फरार लालू यादव पर शिकंजा कसने को पुलिस ने एक लाख का इनाम भी घोषित कर दिया था
यूं मिला डी-9 नाम और गूंजती रही गोलियां
आजमगढ़ जिले के तरवां निवासी धर्मेंद्र सिंह ने इस सदी के प्रथम दशक के प्रारंभ के साथ ही आजमगढ़, मऊ एवं गोरखपुर में लूट, हत्या एवं रंगदारी की एक के बाद एक घटनाओं को अंजाम देने लगा तो पुलिस ने उस पर दो लाख का ईनाम रखा। वह किसी को भी नौ गोली मारता था। इसीलिए पुलिस ने उसकी गैंग का ही नाम डी-9 रख दिया था
19 मई 2016 को गोरखपुर में एसटीएफ गोरखपुर के तत्कालीन प्रभारी विकास चन्द्र त्रिपाठी(वर्तमान में ADCP वाराणसी) की टीम ने उसे ढेर कर दिया था
उसके मारे जाने पर मऊ एवं आजमगढ़ के व्यवसायियों ने मिठाई बांट खुशी जताया था। उधर धर्मेंद्र के मारे जाने के बाद मऊ के चिरैयाकोट क्षेत्र के अल्देमऊ के सुजीत सिंह बुढ़वा ने गैंग की कमान संभाल ली।
सुजीत सिंह बुढवा भी जरायम की दुनिया में कभी खौफ का पर्याय रहे धर्मेंद्र सिंह के नक्शेकदम पर चलने लगा। सुजीत सिंह बुढवा ने मऊ एवं आजमगढ़ सहित पूर्वांचल में में एक के बाद एक घटनाओं को अंजाम देना प्रारंभ किया। किसी तरह पुलिस के हत्थे चढ़ा बुढवा 11 अगस्त 2017 को रामपुर से मऊ न्यायालय में पेशी हेतु लाए जाने के दौरान आजमगढ़ के बुढ़नपुर में पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। उस समय उसके विरुद्ध कुल 39 मुकदमें पंजीकृत थे।
18 अगस्त 2017 को आजमगढ़ में सिधारी पुल के पास चेकिग के दौरान सुजीत सिंह बुढ़वा ने सिपाही को गोली मार दिया। पुलिस ने पीछा कर 14 किलोमीटर दूर गजहड़ा में उसे मार गिराया। इस मुठभेड़ में दरोगा अनूप शुक्ला(वर्तमान में सिगरा थाना प्रभारी वाराणसी) सहित कई अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे।
इसके बाद जिले के सरायलखंसी थाना क्षेत्र के डोड़ापुर निवासी विनोद यादव लालू ने गैंग की कमान संभाली। गैंग की कमान संभालते ही लालू ने ताबड़तोड़ घटनाओ को अंजाम देकर पूरे पूर्वांचल में अपनी और अपने गिरोह की दहशत कायम कर ली थी औऱ उसके विरुद्ध दर्ज 82 मुकदमे इसकी गवाही देते है।
विनोद यादव लालू का आतंक आजमगढ़, मऊ, बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर एवं भदोही जिलों में भी था।
खैर हर पाप का एक ना एक दिन हिसाब होना ही होता है, आज मऊ पुलिस ने लालू को मुठभेड़ में मार गिराया और लालू की कहानी खत्म कर दी।
गिरोह का विस्तार जोन तक होने के चलते पुलिस ने डी-9 गैंग को आईआर लालू गैंग नाम दे दिया था।