UP के 150 गांवों से ग्राउंड रिपोर्ट:हर दूसरे घर में 3-4 लोगों में कोरोना के लक्षण, मेडिकल स्टोर पर दवाएं मिलना भी मुश्किल

उत्तर प्रदेश के शहरों में कहर बरपा रहा कोरोना अब गांवों की तरफ भी बढ़ चुका है। आंकड़े भी इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। लेकिन ये आंकड़े भी अभी अधूरे ही हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि गांवों के ज्यादातर लोग टेस्ट नहीं करा रहे हैं, जबकि लगभग हर दूसरे घर में 3-4 लोगों में संक्रमण के गंभीर लक्षण हैं। लोग खुद बता भी रहे हैं कि उन्हें सर्दी, जुखाम, खांसी और बुखार है। लोगों को स्वाद और महक न आने की समस्या भी है। आपको कोरोना को लेकर 5 जिलों के 150 गांवों की ग्राउंड रिपोर्ट देने जा रहे हैं…

वाराणसी : 8 ब्लॉक के 22 गांवों में एक महीने में 70 से ज्यादा मौतें

वाराणसी जिले के 8 ब्लॉक के 22 गांवों का जायजा लिया। इनमें पिछले एक महीने के दौरान 70 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। मरने वालों में कोरोना के लक्षण थे, लेकिन किसी का टेस्ट नहीं हुआ था। धौरहरा गांव में रामदुलार यादव, पूनम पांडेय, अतुल चौबे, पलकहां गांव के पूर्व प्रधान रामबली यादव समेत कुछ और लोगों की मौत हुई है। इन सभी को तेज बुखार, सर्दी और खांसी की शिकायत थी। इनकी मौत 2 मई को हुई। इसी तरह कुकुढहां गांव में डॉ. नंदलाल ने दम तोड़ दिया। इन्हें भी बुखार की ही समस्या थी।

कुछ ऐसा ही हाल अजांव, बर्थरा खुर्द, चौबेपुर, भगतुआ, कुकुढंहां, शिवदशां, छित्तमपुर, कादीपुर कलां गांव, सुंगुलपुर, भंदहा समेत कई गांवों का है। ये लोग गांव के मेडिकल स्टोर से ही दवाइयां लेते हैं, लेकिन आजकल इसमें भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं, पचवार गांव में अब तक सात, खरगूपुर में चार, तिवारीपुर में दो, भटौली में दो, हाथी बाजार में चार, तेंदुई में चार, रामेश्वर में पांच, हरिभानपुर, आराजी लाइन विकासखंड के गहरपुर (खड़ौरा) में 5 लोगों की पिछले कुछ दिनों में जान जा चुकी है।

यहां हाथी बाजार में स्थित एक मेडिकल स्टोर संचालक ने बताया कि इन दिनों सामान्य बुखार की दवाइयां भी मिलना मुश्किल हो गया है। कोरोना के लक्षण दिखने पर लोगों को टेस्ट कराने की सलाह देते हैं, लेकिन लोग मना कर देते हैं। किसी तरह उन्हें सप्लीमेंट्री दवाइयां दी जा रही हैं, जिससे वे ठीक हो सकें।

गोरखपुर : 50 गांवों में सरकारी सर्वे में ही खुली पोल, 3 दिन में 5 हजार संदिग्ध मिले

जिले के ग्रामीण इलाकों में 24 सीएचसी और 18 पीएचसी है। इसके अंतर्गत 50 से ज्यादा गांव हैं। यहां के लोग इन्हीं अस्पतालों में जाते हैं। यहां ग्रामीण लोग जाकर अपनी छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज कराते हैं। इन अस्पतालों में अभी ज्यादातर लोग सर्दी, जुखाम और बुखार से पीड़ित पहुंच रहे हैं। कैम्पियरगंज सीएचसी में हर रोज 30 से 35 मरीज सामने आ रहे हैं। इस अस्पताल में पिछले पांच दिन में कुल 348 सैंपलिंग हुई, इसमें 28 पॉजिटिव मिले। ग्राम इंदरपुर में मामले ज्यादा है। यहां दो दिन में बुखार से 415 लोग पीड़ित मिले।

इसी तरह खजनी पीएचसी में हर दिन 30-40 मरीज बुखार का इलाज कराने पहुंच रहे हैं। पांच दिन में यहां 17 लोग अस्पताल की जांच में संक्रमित मिले। दो दिन में बहुरिपार, बघैला, पैसा में 350 बुखार से पीड़ितों को दवाएं दी गईं। लोगों ने बताया कि सर्दी, जुकाम और हल्का बुखार है।

ऐसे ही हालात ब्रह्मपुर पीएचसी, खोराबार पीएचसी, पिपराइच सीएचसी, बासगांव पीएचसी, सीएचसी पाली, बड़हलगंज सीएचसी, भटहट सीएचसी, सरदारनगर पीएचसी, जंगल कौड़िया पीएचसी और जंगल कौड़िया पीएचसी में भी हैं। इन सभी जगह तीन दिन के अंदर करीब 5 हजार से ज्यादा संदिग्ध मिल चुके हैं।

गाजीपुर : एक महीने के अंदर 20 गांवों में 59 से ज्यादा मौतें

पूर्वांचल का ये जिला काफी महत्वपूर्ण है। बनारस से सटे होने के चलते जिले में पिछले एक महीने के अंदर कोरोना के मामलों में 200% से ज्यादा का इजाफा हुआ है। यहां अब तक 17 हजार 950 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 3,389 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 14 हजार 415 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 146 लोगों की मौत हो चुकी है।

यहां के विरनो, करणडा, देवकली, जखनिया, सादात, मनिहारी, रेवतीपुर, भांवरकोल विकासखंड में आने वाले 20 गांवों में पिछले एक महीने के अंदर 59 से ज्यादा लोगों ने जान गंवाई है। देवकली के शिवम कुमार बताते हैं कि उनके यहां एक हफ्ते में ही 8 लोगों की मौत हुई है। गांव भर में लोग बुखार, सर्दी, जुखाम से पीड़ित हैं। रेवतीपुर के घनश्याम, बहरियाबाद के पप्पू निषाद, हाजीपुर के अरविंद बताते हैं कि लोग संक्रमण के लक्षण होने के बावजूद अपना टेस्ट नहीं करा रहे हैं।

आजमगढ़ : 30 गांवों में हर घंटे 2 से 3 लोगों की मौत हो रही

इस जिले में हर घंटे 2 से 3 लोगों की मौत हो रही है। मरने वाले 98% लोग बुखार, स्वाद का न आना, सांस लेने में समस्या झेल रहे थे। तरवां के मुकेश बताते हैं कि उनके बाबा का 6 मई को निधन हो गया था। उन्हें कई दिनों से खांसी और बुखार था। मेडिकल स्टोर से दवा दिलाई थी, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।

परमानपुर के भोला सिंह बताते हैं कि उनके यहां गांव में पिछले 15 दिनों में 9 लोगों की जान जा चुकी है। 27 से ज्यादा लोग अभी बीमार हैं। हर किसी में कोरोना के ही लक्षण हैं। बुढ़नपुर, लालगंज, मार्टिनगंज, फूलपुर और सगड़ी के 30 गांवों के 8 हजार से ज्यादा लोग इन दिनों बीमार चल रहे हैं। इन गांवों में पिछले एक महीने के अंदर 45 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं।

मऊ : 10 गांवों में कोरोना के 3 हजार से ज्यादा संदिग्ध

जिले में अब तक सरकारी आंकड़े के अनुसार 7,154 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। इनमें 45 की मौत हुई है। अब हकीकत देखें तो यहां के 28 गांवों में हालात बेहद खराब हैं। मुहम्मदाबाद गोहना, घोसी और मधुबन के गांवों में 3000 से ज्यादा लोग कोरोना के संदिग्ध हैं।

अब तक इन गांवों में 15 दिन के अंदर 34 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो चुकी है। घोसी के लल्लू, श्याम बिहारी, लोटन, नंदू के घर 5 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों की उम्र 45 से 77 साल तक थी। ये सभी लंबे समय से बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ झेल रहे थे। हालांकि, इन लोगों ने कोरोना का टेस्ट नहीं कराया था। जब इन्हें कोरोना को लेकर सवाल पूछा गया तो बोले- ये गांव में नहीं फैलता है। मउनाथ भंजन के खोखाराम कहते हैं कि उनकी 48 साल की पत्नी ने बुखार आने के तीन दिन के अंदर दम तोड़ दिया। मेडिकल स्टोर से ही दवा लेकर वह इलाज करा रहे थे।

ACS सूचना नवनीत सहगल ने कहा कि कोरोना की जांच के लिए टीम ग्रामीण इलाकों में घर-घर जा रही हैं। अब तक 48 लाख 63 हज़ार 298 लोगों केब घर टीम पहुंच चुकी है। इनमें 68 हज़ार 1 सौ 9 लोगों में कोरोना के मामूली लक्षण पाए गए। सहगल ने बताया कि इन सभी को दवाइयां दे दी गई हैं।