आजमगढ़। राजधानी में भाजपा के कील-कांटे दुरुस्त करने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 12-13 नवंबर को फिर पूर्वी यूपी आ रहे हैं. इस बार का दौरा वाराणसी, आजमगढ़, गोरखपुर में चुनाव की तैयारियों पर जोर रहेगा. वाराणसी में वह जहां प्रदेश भाजपा की संगठनात्मक तैयारियों का जायजा लेंगे और पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देंगे, वहीं 13 नवंबर को यशपालपुर आजमबांध, आजमगढ़ में जनसभा को संबोधित करेंगे. आजमगढ़ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का संसदीय क्षेत्र है. 2014 में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने भाजपा प्रत्याशी रमाकांत यादव को हरा कर यहां से सांसद चुनेे गए. इस जिले पर भाजपा की खास नजर है. भाजपा के नेता भी मानते हैं कि आजमगढ़ में पार्टी का परचम फहराने का मतलब है कि पूरे पूर्वांचल में किला फतह हो जाएगा. आजमगढ़ के बहाने भाजपा पूर्वी यूपी में समाजवादी पार्टी को घेरने की योजना तैयार कर रही है. आजमगढ़ की कुछ विधानसभा सीटों पर बसपा का भी दबदबा रहता है. यहां से बसपा के टिकट पर कभी अकबर अहमद डंपी भी सांसद रहे. बसपा सरकार में विधान सभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर भी आजमगढ़ के दीदारगंज क्षेत्र से आते थे. बसपा के संस्थापक कांशीराम के सहयोगियों में से एक गांधी आजाद का भी यह जिला है. यहां 10 विधानसभा और दो लोकसभा सीटों पर सपा और बसपा का ही दबदबा रहता है. लेकिन इस बार भाजपा की योजना आजमगढ़ में अपने प्रभाव को बढ़ाकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को घेरने की तैयारी है.
2014 में मोदी लहर चलने के समय से ही भाजपा की निगाह आजमगढ़ पर टिकी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी आजमगढ़ को खासा महत्व देते हैं. 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने यहाँ बड़ी जनसभा को संबोधित किया था. इसका एक बड़ा कारण आजमगढ़ की भौगोलिक स्थिति है. इस जिले की सीमाएं जौनपुर, वाराणसी, मऊ, गाजीपुर, सुल्तानपुर, अंबेडकरनगर, गोरखपुर से घिरी हैं. समाजवादी चिंतक राम मनोहर लोहिया के जमाने से आजमगढ़ इस विचारधारा से काफी प्रभावित रहा है. इस तरह से इसका बड़ा राजनीतिक महत्व है.
गृहमंत्री अमित शाह यूपी में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए 300 पार का लगातार नारा दे रहे हैं. इसकी रणनीति को मुकम्मल बनाने के लिए वह पहले वाराणसी में पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं के साथ मैराथन बैठक करेंगे. वाराणसी से फीडबैक लेने के बाद वह आजमगढ़ और गोरखपुर भी जाएंगे. आजमगढ़ का दौरा अमित शाह के प्लान में विशेष तौर से है. 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने यहां से दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को उम्मीदवार बनाया था. इस चुनाव में निरहुआ को 3.61 लाख वोट मिला था. हालांकि आजमगढ़ की सीट समाजवादी मुखिया अखिलेश यादव 6.21 लाख वोट हासिल कर जीत लिए थे. आजमगढ़ की विधानसभा सीट पर भी 1996 से समाजवादी पार्टी के विधायक दुर्गा प्रसाद यादव का लगातार कब्जा बना हुआ है। दरअसल, यहां करीब 45 प्रतिशत यादव-मुस्लिम मतदाता हैं. अगड़ी जातियां 24 प्रतिशत के करीब हैं। जबकि दलित 30 प्रतिशत के आस-पास हैं. इसलिए भाजपा आजमगढ़ के राजनीतिक समीकरण को बदलने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है.