आजमगढ़। उत्तर प्रदेश किसान सभा की बैठक गुरूवार को पुरानी कोतवाली स्थित पार्टी कार्यालय पर जिलाध्यक्ष कमला राय की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में 22 नवंबर को लखनऊ में होने वाले विशाल पंचायत और 28 नवंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर शहीदों के सम्मान में निकलने वाले मशाल जुलूस में लोगों से भारी संख्या में भाग में लेने की अपील किया गया।
उत्तर प्रदेश किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष इम्तेयाज बेग ने कहाकि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा दिल्ली में चलाये जा रहे आंदोलन को और मजबूत करने की जरूरत है। केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकार किसानों की जमींने देशी विदेशी कम्पनियों को देने के लिए हर हथकंडा अपना रही है। उन्होने कहाकि कहीं जातीय तो कहीं धार्मिक उन्माद फैलाने की पूरी कोशिश की जा रही है। सरकार किसान एकता को तोड़ना चाहती है जिससे कि उनकी आवाज दबाई जा सकें। आज हम सबकी पूरी जिम्मेदारी है कि सरकार को उनके मंसूबों को कामयाब न होने दिया जाय। अगर सरकार तीनों कृषि कानूनों को अगर लागू की तो किसान सड़क पर आ जायेंगे। उन्होने कहाकि जिस संगठन को 1936 में स्वामी सहजानन्द, राहुल सांस्कृत्यायन, डा. जेड अहमद, भवानी सेन ने बनाया था उसे आज समाप्त करने की साजिश रची जा रही है। गन्ना किसानों का बकाया अभी तक नहीं दिया गया। खाद्य बीज का अभाव है और धान क्रय केन्द्रों पर घटतौली हो रही है। इसके विरोध में आप सब ब्लाक व तहसील पर धरना देकर किसानों के बीच जाकर भ्रष्टाचार को उजागर करने का काम करें।
किसान सभा राज्य कौंसिल के सदस्य गुलाब मौर्य ने कहाकि हमें किसानों के बीच जाकर तीनों कृषि कानूनों से होने वाले नुकसान के बारे में बताना होगा। डीजल, पेट्रोल की तरह चावल, गेंहूं, दाल पूंजीपति आमजनता को मनमाने मूल्य पर बेचेगा। इससे आम आदमी भूखों मरेगा। उन्होने कहाकि किसानों को जब खाद्य बीज की जरूरत होती है तो इसका अभाव होता है। जब किसानों का आलू, टमाटर, प्याज खेतों में तैयार हो जाता है तो सरकार इसका दाम घटा देती है। जिससे किसानों को उपज का मूल्य नहीं मिल पाता है। यहीं सब स्टोर करके सरकार बाद में मंहगे दामों पर बेचती है। बैठक में किसान आंदोलन को और धार देने की अपील की गई।
इस अवसर पर वसीर मास्टर, सुरेन्द्र यादव, रामलखन राजभर, रामचन्द्र यादव, शहनवाज, राजित, रामनेत यादव, राकेश चौहान, मंगल देव यादव, जियालाल, रामबचन यादव आदि मौजूद रहे।