अमेरिका ने 33 चीनी कंपनियों को काली सूची में डाला, विनाशकारी हथियारों के संबंध में कार्रवाई

वाशिंगटन। कोरोना महामारी को लेकर अमेरिका के निशाने पर आए चीन की 33 कंपनियों और संस्थानों को काली सूची में डाल दिया गया है। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि यह कार्रवाई चीन में अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिमों की जासूसी में बीजिंग की मदद करने या विनाशकारी हथियारों और चीनी सेना से संबंध रखने के चलते की गई है। इस कदम से दोनों देशों में और तनाव बढ़ने के आसार हैं।

पहले से जारी है तनाव

कोरोना महामारी को लेकर अमेरिका और चीन में पहले से ही तनातनी चल रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस के लिए चीन को लगातार जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका दावा है कि उसकी अक्षमता के चलते विश्व में बड़ी संख्या में मौतें हो रही हैं। अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने एक बयान में कहा कि सात कंपनियों और दो संस्थानों को काली सूची में डाला गया है।

इसलिए की गई कार्रवाई

यह कार्रवाई चीन के उस दमनकारी अभियान में सहभागिता को लेकर की गई है, जिसके तहत उइगरों और दूसरों की निगरानी की जा रही है। बड़े पैमाने पर उनको हिरासत में रखा जा रहा है। विभाग ने एक अन्य बयान में कहा कि दो दर्जन अन्य कंपनियों, सरकारी संस्थानों और वाणिज्यिक संगठनों को चीनी सेना के इस्तेमाल में आने वाले वस्तुओं को हासिल करने का समर्थन करने के चलते सूची में डाला गया है।

नेटपोसा पर भी कार्रवाई

काली सूची में डाली गई कंपनियां में नेटपोसा भी है। इसकी गिनती चीन की दिग्गज आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) कंपनियों में होती है। मुस्लिमों की निगरानी करने में इस कंपनी की चेहरा पहचानने की तकनीक का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा साइबर सिक्यूरिटी फर्म कीहू360 और क्लाउडमाइंड्स के साथ ही जिलिंक्स इंक को भी काली सूची में डाला गया है। वाणिज्य विभाग ने कहा कि सूची में डाली गई कंपनियों और संस्थानों को अमेरिकी सामान बेचने पर प्रतिबंध लगाया जाता है।

अमेरिकी उड़ानों में बाधा खड़ी कर रहा चीन

अमेरिका ने चीन पर अमेरिकी उड़ानों में बाधा खड़ी करने का आरोप लगाया है। ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को कहा कि चीन अपने यहां के लिए अमेरिकी एयरलाइंस की उड़ानों को बहाल करने के प्रयास को असंभव बना रहा है। अमेरिकी यात्री विमानों की सेवा को बहाल करने को लेकर चीन को समझा रहे अमेरिका के परिवहन विभाग ने इस हफ्ते कुछ चीनी चार्टर विमानों में कुछ विलंब करा दिया था, क्योंकि वे कुछ जरूरतों का पालन नहीं कर रहे थे। विभाग ने चीनी एयरलाइंस को यह आदेश भी दिया है कि वे अमेरिका के लिए अपनी उड़ानों का कार्यक्रम 27 मई तक दाखिल कर दें।

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