बलिया। कोरोना संक्रमण के बीच श्रमिकों के घर पहुंचने की राह की जटिलता कम होने का नाम नहीं ले रही है। ट्रेनों का निर्धारित रूट से भटकना अब भी जारी है। सोमवार को पांच दिन की यात्रा करने के बाद दस हजार रुपये खर्च कर कटिहार से दो वाहन (पिकअप) से बलिया पहुंचे शंकरगढ़ (प्रयागराज के पास) के श्रमिकों ने आप बीती सुनाई। इनकी संख्या एक सौ के करीब है। रेलवे स्टेशन पहुंचकर इन लोगों ने शंकरगढ़ भिजवाने की अपील भी की
शंकरगढ़ के श्रमिकों को कहना था कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन 21 मई को महाराष्ट्र के कोल्हापुर से चली। इस ट्रेन से हम सभी को जबलपुर उतरना था। कोल्हापुर से जबलपुर पहुंचने में ट्रेन का अधिकतम 24 घंटे समय लगता है। दुर्भाग्य से यह ट्रेन भुसावल से इटारसी न जाकर नागपुर की तरफ चली गई। इसके बाद वह छत्तीसगढ़ रायपुर से उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल होते हुए बिहार के कटिहार पहुंची। पांच दिन की उबाऊ यात्रा के बाद भी अभी घर नहीं पहुंच सके।
हम सब भोजन-पानी के लिए तरस गए। कटिहार रेलवे स्टेशन पर पहुंचने पर वहां के जिला प्रशासन ने शंकरगढ़ ने भेजवा कर वाहन से पटना भेजवा दिया। बताया गया कि वहां से बलिया रेलवे स्टेशन से ट्रेन मिलेगी। प्रवासियों ने बताया कि पटना से हम सभी पांच- पांच हजार में दो मिनी बस करके किसी तरह से बलिया पहुंचे है। इसके बाद रेलवे स्टेशन पहुंचकर अधिकारियों से हम सभी ने मध्यप्रदेश के शंकरगढ़ भेजवाने की अपील की। ये प्रवासी अपने परिवार के साथ चिलचिलाती धूप में रेलवे स्टेशन पर घंटों बैठकर साधन का इंतजार करते रहे। रेलवे स्टेशन से अधिकारियों ने इन सभी को रोडवेज बस अड्डे पर भेज दिया। जहां इन सभी को उनके जनपद तक भेजने की व्यवस्था की गई। स्थानीय प्रशासन इस संदर्भ में बात करने से कन्नी काटता रहा। बस, इतना कहा गया कि इन्हें सुरक्षित घर तक भेजने की व्यवस्था कर दी गई है।