नई दिल्ली। दिल्ली से एनसीआर में आवागमन की हो रही दिक्कतों पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से एक सप्ताह में रुख साफ करने को कहा है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह टालते हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे इस बीच केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट में जवाब दाखिल करें। हालांकि उत्तर प्रदेश और हरियाणा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामे दाखिल कर दिये गये थे लेकिन उनकी प्रति भी न्यायाधीशों के पास रिकॉर्ड पर मौजूद नहीं थी। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर उन्हें भी रिकार्ड पर पेश करने का आदेश दिया है।
जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए आदेश
ये आदेश न्यायमूर्ति अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की पीठ ने रोहित भल्ला की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किए। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील का कहना था कि दिल्ली एनसीआर को पूरी एक एनसीआर की अवधारणा से विकसित किया गया है इसके बावजूद लाकडाउन के दौरान दिल्ली से नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरूग्राम आदि में जाने में दिक्कत होती है वहां सीमाओं पर राज्य सरकारें घुसने नहीं देतीं।
याचिकाकर्ता का कहना था कि एनसीआर रीजन में सीमाओं पर रोका जाना एनसीआर की अवधारणा के खिलाफ है। पूरे एनसीआर को एक क्षेत्र की तरह देखा जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि केन्द्र और राज्य सरकारों को मिल कर एक कामन पोर्टल तैयार करना चाहिए जिस पर लोगों को आनलाइन ईपास मिल सकें ताकि लोगों को एनसीआर में आवागमन में दिक्कत न हो।
राज्यों की लोगों की सेहत और जीवन की प्राथमिकता
यह भी आरोप लगाया है कि एनसीआर की राज्य सरकारें केन्द्र के आदेशों का पालन नहीं कर रही हैं। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील गरिमा प्रसाद ने कहा कि प्रदेश सरकार केन्द्र के सभी आदेशों का यथावत पालन कर रही है, लेकिन इतना जरूर है कि सीमा पर आवागमन थोड़ा नियंत्रित है। आवश्यक वस्तुओं और आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को भी आने जाने दिया जा रहा है। ऐसा राज्य सरकार लोगों की सेहत और जीवन की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए कर रही है।
दिल्ली में नोएडा से बहुत ज्यादा मामले
गरिमा प्रसाद ने कहा कि अभी नोएडा में कोरोना के सिर्फ 293 पोजिटिव केस हैं जबकि दिल्ली में पाजिटिव मरीजों की संख्या 1108 है। नोएडा की जनसंख्या से दिल्ली की जनसंख्या दस गुना ज्यादा है जबकि कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 37 गुना दिल्ली में ज्यादा है। उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर को देखा जाए तो नोएडा में अभी संक्रमितों की संख्या काफी कम है। राज्य सरकार जरूरी सेवाओं के लिए पास जारी कर रही है और दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए दिल्ली सरकार की अनुमति से वकीलों को भी आने जाने दिया जा रहा है।
राज्यों को नीति तय करने का अधिकार
उधर, हरियाणा की ओर से पेश वकील ने कहा कि हरियाणा सरकार दिल्ली में आने जाने वालों को पास जारी कर रही है। पीठ ने याचिकाकर्ता की दलीलों पर कहा कि राज्य सरकारें अपने मुताबिक नीति तय करने को स्वतंत्र हैं। हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह सालिसिटर जनरल तुषार मेहता को याचिका की कापी दे और सालिसिटर जनरल केन्द्र सरकार व दिल्ली की से निर्देश लेकर कोर्ट में जवाब दाखिल करेंगे।