माचल प्रदेश में “रिश्वत लेने की अभिव्यक्ति” से पैदा हुए हालात से संकट के बादल अब छंट चुके है। अब इस कांड या यूं कहें रिश्वतकांड की जमीनी हकीकत की बारीकियां समझने का वक्त है। परंतु उससे पहले, जो घटना घटी उसे संक्षेप में यूं देख सकते हैं। राज्य में, स्वास्थ्य सेवा हिमाचल प्रदेश के निदेशक व पृथ्वी सिंह के मध्य रिश्वत से संबंधित बातचीत का एक “ऑडियो क्लिप” वायरल हुआ, जिसमें बाद में स्वास्थ्य निदेशक को 5 लाख की घूस की पेशकश की गई। सतर्कता व भष्टाचार निरोधक ब्यूरो हरकत में आए और निदेशक को हिरासत में लिया गया परंतु पृथ्वी सिंह तक नही पहुंचे और उसे हिरासत में भी नही लिया गया। बाद में स्वास्थ्य निदेशक को भी जमानत पर रिहा कर दिया गया। कांग्रेस व सीपीएम सहित सभी विपक्षी पार्टियों ने प्रदेश में सत्तासीन भाजपा सरकार पर कोविड19 से उत्पन हुई इन कठिन परिस्थितियों में भी रिश्वत स्वीकारने को लेकर तीखा हमला किया और दोषियों पर कड़ी करवाई की मांग की। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांताकुमार ने भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया और दोषियों पर कार्यवाही की बात कही।
पृथ्वी सिंह का संबंध पूर्व मंत्री और नाहन से विधानसभा सदस्य राजीव बिंदल से है जो हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष भी थे। ये आरोप लगाया गया था कि अपैक्स डायग्नोस्टिक, सोलन से 6000 व 7000 की संख्या में, दो चरणों मे व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पी पी ई) किट खरीदी गयी थी। जिसे राजीव बिंदल के बेटी-दामाद चलाते हैं और पृथ्वी सिंह इसी अपैक्स डियग्नोस्टिक के (कारोबार प्रबंधक) मार्केटिंग मैनेजर हैं मीडिया के एक वर्ग द्वारा जांच में सामने आया कि जिस बंसल कम्युनिकेशन, कुरुक्षेत्र नाम की एजेंसी से 6000 किट की आपूर्ति की गई वो कंपनी अस्तित्व में ही नहीं है। जिसके फलस्वरूप भाजपा राज्य अध्यक्ष राजीव बिंदल को पद से इस्तीफा देना पड़ा।
क्या यही सबकुछ मात्र है? नहीं, हरगिज नही। गुजरात मे 900 वेंटिल्टर्स की खरीद का एक बड़ा घोटाला हुआ है। ये आरोप लगे है कि वे वास्तव में वेंटिल्टर्स हैं ही नहीं, मात्र कबाड़ है। जिसकी वजह से अहमदाबाद के नागरिक अस्पताल में 300 मौतें हुई। ये एक बड़ी आपराधिक घटना थी परंतु किसी भाजपा में किसी ने इस्तीफा नही दिया। और यहां हिमाचल में घूस की पेशकश मात्र पर ही राज्य का भाजपा अध्यक्ष पद खो देता है?
इस्तीफे की राजनीतिक ड्रामेबाजी ने एक बार फिर से भाजपा में अंदरूनी गुटबाजी को जगजाहिर दिया है। भाजपा, जो खुद को कैडर आधारित एक अनुशासित पार्टी मानती है, हिमाचल में जनसंघ के दिनों से ही अलग अलग समूहों के साथ विवादित रही है। पहले शांत कुमार व प्रेम कुमार धूमल, फिर प्रेम कुमार धूमल व जे पी नड्डा के मध्य था प्रेम कुमार धूमल की हार के साथ ही एक और काला घोड़ा इस दौर में शामिल हुआ, और अब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर जयराम ठाकुर एक नया चेहरा है।
विश्वसनीय सूत्रों से पता चला कि भाजपा के भीतर राजीव बिंदल राज्य में जेपी नड्डा के लिए आधार विकसित करने व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की जांच करने के लिए जे पी नड्डा के ही आदमी थे। जय राम ठाकुर ने एक मजबूत फोन हैकिंग के साथ जवाबी हमला किया। राजीव बिंदल को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। जयराम ठाकुर जानते थे कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा को ये कभी भी स्वीकार्य नहीं होगा। जयराम ठाकुर के करीबी सहयोगियों ने पार्टी अध्यक्ष से संपर्क करने के बजाए प्रधानमंत्री कार्यालय का रुख किया और राजीव बिंदल के खिलाफ दबाव बनाते रहे। यह माना जाता है कि पीएमओ और पार्टी अध्यक्ष के कार्यालय ने हस्तक्षेप नहीं किया और बिंदल के निष्कासन/इस्तीफे के लिए सही निशाना बिठाया।
जयराम ठाकुर ने अपने अधिकार का प्रयोग बहुत चालाकी भरे तरीके से किया है। भली प्रकार समझते हुए कि कैबिनेट के उनके कुछ सहयोगी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं उन्होंने एक साफ स्वच्छ छवि के अधिकारी जगदीश शर्मा को अपने प्रधान निजी सचिव के पद पर नियुक्त कर अपने प्रतिद्वंदियों को एक और संदेश दिया। जगदीश शर्मा ऐसे व्यक्ति है जो विश्वबैंक की मदद से प्रदेश में बागवानी से संबंधित परियोजनांए लाने में एक मुख्य स्रोत रहे है।
जयराम कैबिनेट के एक वरिष्ठ मंत्री जो जयराम के प्रतिद्वंदी हो सकते है को पिछली सरकार में जगदीश शर्मा द्वारा कड़ाई से निपटाया गया था। इसी तरह जयराम ठाकुर ने अपने खास व्यक्ति को हिमाचल पुलिस प्रमुख के पद पर बिठाया। “जयराम ठाकुर, मुख्यमंत्री पद के लिए नए है और केंद्र के आदेश पर ही उसके खड़ाऊ पूजन का कार्य करेंगे-ये मिथ्या साबित हुआ है” मुख्यमंत्री कार्य कर रहे हैं, अपने पहले लक्ष्य को पा लिया है। भाजपा में एक जबरदस्त प्रतिद्वन्दी के तौर पर कौन उभर कर निकलेगा ये देखना बाकी है।