लखनऊ। उत्तर प्रदेश में घरौनी कानून को अध्यादेश के जरिये लागू करने की तैयारी है। इसी अध्यादेश के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी के सर्वे और मालिकाना हक के लिए विधेयक लाया जाएगा। विधेयक में यह प्रावधान होगा कि सरकार दो साल तक इसमें कोई भी संशोधन अपने स्तर से कर सकेगी। राजस्व विभाग ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा है, जल्द ही इस पर निर्णय हो सकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी वाले हिस्सों पर मालिकाना हक पहले राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं था। इससे विवाद की स्थिति में दिक्कतें होती थीं। घर बनाने के लिए बैंकों से लोन भी नहीं मिल पाता था। इन दिक्कतों से पार पाने के लिए सरकार ने 8 अक्तूबर 2020 को ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी का सर्वे और घरौनी प्रबंधन नियमावली की अधिसूचना जारी की थी। लेकिन, यह नियमावली किसी अधिनियम के अधीन नहीं है। इसलिए मामले अदालतों में फंस रहे हैं।
विधेयक-2025 का प्रारूप तैयार करवाया है। इसमें 2020 की अधिसूचना के सभी प्रावधानों को शामिल किया गया है। साथ ही घरौनी पर किसी भी पक्ष को आपत्ति करने और दस्तावेज में संशोधन का अधिकार भी दिया जा रहा है। विधेयक की प्रक्रिया को विधानमंडल के माध्यम से पूरा करवाने में वक्त लगेगा। उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, ऐसे में सरकार इस विधेयक को अध्यादेश के माध्यम से लागू करने के अपने अधिकार का प्रयोग करेगी। बता दें, अध्यादेश को छह माह के भीतर विधेयक के रूप में सदन में रखने का प्रावधान है।