कृषकों की आय दो गुनी करना शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है – उप कृषि निदेशक

आजमगढ़ 09 अक्टूबर– उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा), आजमगढ़ मण्डल, आजमगढ़ गोपाल दास ने अवगत कराया है कि कृषकों की आय दो गुनी करना शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके लिए आवश्यक है कि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ लागत में कमी आये, जिससे कृषकों की शुद्ध आय में वृद्धि हो सके। उन्होने अवगत कराया है कि बीज शोधन एवं भूमि शोधन के द्वारा कम लागत में कीटों एवं रोगों का नियंत्रण कर गुणवत्ता युक्त अधिकाधिक उत्पादन लिया जा सकता है।
फसल सुरक्षा के लिए भूमि शोधन अत्यंत आवश्यक है। 1 किलोग्राम ट्राई्कोड्रर्मा को 25 किलोग्राम कम्पोस्ट (गोबर की सड़ी खाद) में मिलाकर, हल्के पानी का छींटा देकर एक सप्ताह तक छायादार स्थान पर रखकर उसे जूट के गीले बोरे से ढके ताकि इसके बीजाणु अंकुरित हो जाये। इस कम्पोस्ट को एक एकड़ खेत में फैलाकर मिट्टी में मिला दें अर्थात अंतिम जुताई के पूर्व इसका प्रयोग करें, फिर बुआई/रोपाई करें।
बीज शोधन फसल सुरक्षा का सबसे सस्ता, कारगर व प्रारंभिक उपचार है। बीज शोधन कर बुवाई करने से बीजों का अंकुरण व फसल की बढवार अच्छी होने के साथ-साथ उसमें बीमारी लगने के एक तिहाई अवसर घट जाते हैं। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी फसलों की बुवाई बीज शोधन करने के उपरान्त ही करें।
दहलनी फसलांे में लगने वाले उक्ठा एवं अन्य बीमारियों के नियंत्रण हेतु ट्राइकोड्रर्मा (जैविक फफूंदी नाशक) की 4 से 5 ग्राम मात्रा 1 किलो०ग्रा० बीज को शोधित करने के लिए पर्याप्त होती है। गेहूँ, जौ एवं तिलहनी फसलों के बीजों का शोधन करने हेतु थीरम की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति कि0ग्रा0 बीज की दर से तथा गेहूँ व जौ में लगने वाले कण्डुआ बीमारी के नियंत्रण हेतु कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत की 2 ग्राम मात्रा प्रति कि0ग्रा0 बीज के शोधन हेतु प्रयोग करना बीमारी नियंत्रण हेतु बहुत ही कारगर होता है।
किसान भाई बीज को मिट्टी के घड़े अथवा ड्रम में लेकर उपरोक्तानुसार दवा मिलाकर, अच्छे से हिलायें ताकि दवा बीजों से अच्छे से चिपक जायें, तत्पश्चात बीजों की बुआई करे ।
फसल सुरक्षा की अधिक जानकारी अथवा अन्य किसी समस्या के समाधान हेतु किसान भाई अपने विकास खण्ड स्थित कृषि रक्षा इकाई के प्रभारी अथवा अधोहस्ताक्षरी से मो0नं0-9415592498 पर संपर्क कर सकते हैं।