विवाह के लिए कुंडली मिलान शंका समाधान


कुंडली का मिलान ही भावी जीवन का निर्धारण नहीं करता ऐसे बहुत उदाहरण है जहां 36 गुण मिलते हैं लेकिन आपस में 36 का आंकड़ा रहता है और ऐसे भी उदाहरण हैं जहां कुंडली नहीं मिलाई गई परंतु जीवन की गाड़ी बहुत अच्छी तरह चल रही है ! जिनका मनोबल कमजोर है वही कुंडली मिलाने में विश्वास करते हैं ! अक्सर कुंडली मिलाने के चक्कर में अच्छे सम्बन्ध भी छूट जाते हैं ! आजकल के युग में जन्म कुंडली प्रासंगिक नहीं है क्योंकि बच्चों का जन्म नैसर्गिक नहीं है ! इसका कारण है कि आजकल अधिकतर बच्चे सिजेरियन पैदा होते हैं और हम ही सुविधानुसार बच्चे के जन्म स्थान, समय तथा तारीख निश्चित कर लेते हैं ! पहले जन्म घरों में होता था जिससेे कि कुंडली में अक्षांश और देशांश उसी जगह के होते थे तथा समय भी नैसर्गिक होता था !
आज एक ही दिन में एक शहर में एक ही समय कई बच्चों का जन्म होता है ! इन सबकी कुंडली एक ही बनेगी परंतु इन सबका जीवन एक समान नहीं होता ! सबसे महत्वपूर्ण बात भाग्य एवं कर्मफल के आगे किसी योग और मुहुर्त का जोर नहीं चलता ! श्री रामचंद्र जी का विवाह कितने अच्छे मुहुर्त में हुआ था लेकिन विवाह के बाद पासा पलट गया, शुभ मुहूर्त धरें के धरें रह गये !
कहते हैं :- करम गत टारे नहीं टरी
योग्य वशिष्ठ सम ज्ञानी पंडित
वच वच लग्न धरी, करम गत टारे नहीं टरी.!
कुंडली मिलाने की अपेक्षा हमें मेंटल वाइब्रेशन मिलानी चाहिए ! जिससे मिलकर आपको यह लगे कि यह सम्बन्ध हो जाए तो सबसे उत्तम है, समझ लो सब कुंडली मिल गई ! कुंडली मिलाने की अपेक्षा हमें अपनी मनोबल मजबूत रखना चाहिए, तभी हमारा जीवन सफल एवं सार्थक होगा !
अशोक आनंद वर्मा