लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं महामारी नियंत्रण अध्यादेश-2020 सोमवार से प्रदेश में प्रभावी हो गया। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अध्यादेश को मंजूरी दे दी। अब कोरोना योद्धाओं चिकित्सक, पैरा मेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी या शासन में तैनात किसी भी कर्मी से मारपीट, अभद्रता करने वालों को सख्त सजा भुगतनी होगी और जुर्माना भरना होगा। इस अध्यादेश के तहत सात साल तक की सजा और पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है
छह मई, 2020 को यूपी कैबिनेट ने फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स की सुरक्षा के लिए इस अध्यादेश पर मुहर लगाई थी और इसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा गया था। सोमवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी मिलने के बाद अब इस अध्यादेश के तहत कोरोना नियंत्रण में लगे डाक्टर, पुलिस, सफाई कर्मी और कर्मचारियों व अफसरों का विरोध करना, उन पर हमला करना, बदसलूकी और तोडफ़ोड़ करने पर सात साल तक की सजा और पांच लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
वहीं कोरोना योद्धाओं पर थूकने, गंदगी फेंकने और क्वारंटाइन के दौरान गड़बड़ी करने और हमले के लिए भड़काने वालों को पांच साल तक की सजा और अधिकतम दो लाख तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। उधर लाकडाउन तोड़ने और बीमारी फैलाने वालों पर भी इस अध्यादेश से शिकंजा कसा गया है। कोरोना मरीज स्वयं को छिपाएगा तो एक वर्ष से लेकर तीन वर्ष तक की सजा और एक लाख तक का जुर्माना हो सकता है। वहीं कोराना मरीज अगर सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करते हुए पाया गया तो तीन साल तक की सजा व दो लाख तक के जुर्माना लगाया जा सकता है।
अध्यादेश में यह भी
- क्वारंटाइन का उल्लंघन करने पर एक से तीन साल की कैद और जुर्माना दस हजार से एक लाख रुपये तक होगा।
- अस्पताल से भागने वालों के खिलाफ एक वर्ष से तीन वर्ष जेल और दस हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना।
- अश्लील और अभद्र आचरण करने पर एक से तीन साल कारावास और जुर्माना 50 हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना।
- अगर कोई कोरोना मरीज स्वयं को छिपाएगा तो उसे एक से लेकर तीन वर्ष की जेल हो सकती है और 50 हजार रुपये से एक लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा।
- अगर कोरोना मरीज जानबूझ कर सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करता है तो उसके लिए एक से तीन साल तक की कैद और 50 हजार से दो लाख तक जुर्माना।
राज्य व जिला स्तर पर बनेंगे प्राधिकरण
नए अध्यादेश में सरकार ने कोरोना पर नियंत्रण और इलाज के लिए दो प्राधिकरणों के गठन का भी फैसला किया है। राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य महामारी नियंत्रण प्राधिकरण बनेगा। इसमें मुख्य सचिव सहित सात अन्य अधिकारी सदस्य होंगे। इसके अलावा जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जिला महामारी नियंत्रण प्राधिकरण का भी गठन होगा। राज्य प्राधिकरण महामारी की रोकथाम व नियंत्रण से संबंधित मामलों में सरकार को परामर्श देगा, जबकि जिला प्राधिकरण जिले में विभिन्न विभागों के क्रियाकलापों में समन्वय स्थापित करेगा।
यह होगा प्राधिकरणों का स्वरूप
राज्य प्राधिकरण
- मुख्यमंत्री : अध्यक्ष
- मुख्य सचिव : उपाध्यक्ष
- पुलिस महानिदेशक : सदस्य
- प्रमुख सचिव गृह : सदस्य
- प्रमुख सचिव स्वास्थ्य : सदस्य सचिव
- प्रमुख सचिव वित्त : सदस्य
- राहत आयुक्त : सदस्य
- महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं : सदस्य
जिला प्राधिकरण
- जिला मजिस्ट्रेट : अध्यक्ष
- पुलिस अधीक्षक या उप पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी, जिन्हेंं पुलिस आयुक्त नामित करें : सदस्य
- मुख्य चिकित्सा अधिकारी : सदस्य सचिव
प्राधिकरणों को लॉकडाउन का भी अधिकार
कोरोना संक्रमण के प्रसार रोकने को जिस तरह से अभी सरकार ने लॉकडाउन घोषित किया है, वह व्यवस्था अब किसी भी महामारी की रोकथाम के लिए लागू की जा सकती है। अध्यादेश में अधिकार दिया गया है कि राज्य प्राधिकरण राज्य स्तर पर तो जिला प्राधिकरण जिले में पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन की घोषणा कर सकेंगे।