यूपी राज्य कर्मियों को झटका, नगर प्रतिकर समेत छह भत्ते खत्म करने का फैसला

लखनऊ। कोरोना के खिलाफ जारी जंग के लिए वित्तीय संसाधन तलाशने में जुटी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नगर प्रतिकर भत्ता और सचिवालय भत्ता समेत राज्य कर्मचारियों के छह प्रकार के भत्तों को खत्म करने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने यह फैसला कैबिनेट बाई सर्कुलेशन किया है। इस बारे में मंगलवार को आदेश जारी हो सकता है। इन छह प्रकार के भत्तों को खत्म करने से सरकार को एक साल में तकरीबन 1500 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। माना जा रहा है कि कोरोना आपदा के कारण खजाने को लगी तगड़ी चोट ने सरकार को यह फैसला करने के लिए मजबूर किया है। भत्ते खत्म किये जाने से कर्मचारियों और उनके संगठनों में हड़कंप मचा है।

इससे पहले पिछले महीने जब सरकार ने राज्य कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को डेढ़ साल तक बढ़ाने पर रोक लगाने का फैसला किया था तो उसी के साथ उसने इन छह भत्तों को पहली अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक स्थगित करने का निर्णय किया था। इन छह भत्तों को चालू वित्तीय वर्ष के लिए स्थगित करने के बारे में वित्त विभाग ने 24 अप्रैल को शासनादेश जारी किया था।

नगर प्रतिकर भत्ता एक लाख तक या उससे अधिक आबादी वाले नगरों में तैनात सभी राज्य कर्मचारियों और शिक्षकों को दिया जाता है। इसे बंद करने से सबसे ज्यादा राज्य कर्मचारी प्रभावित होंगे। प्रदेश में 16 लाख राज्य कर्मचारी-शिक्षक हैं। फिलहाल राज्य कर्मचारियों को नगरों की श्रेणियों के हिसाब से 250 से लेकर 900 रुपये प्रतिमाह तक नगर प्रतिकर भत्ता दिया जा रहा था।

वहीं सचिवालय भत्ता सचिवालय में तैनात निचले स्तर से लेकर विशेष सचिव स्तर तक के काॢमकों को मिलता था जिसकी अधिकतम सीमा 2500 रुपये थी। सचिवालय में तैनात कर्मियों के अलावा यह भत्ता राजस्व परिषद में अध्यक्ष और सदस्यों को छोड़कर शेष कार्मिकों और इलाहाबाद हाई कोर्ट में एडीशनल रजिस्ट्रार तक के सभी कार्मिकों को मिलता था। इस भत्ते के खत्म होने से सचिवालय, राजस्व परिषद और हाई कोर्ट के लगभग 12 हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे। वहीं विभिन्न विभागों के तकरीबन 30 हजार अवर अभियंताओं को 400 रुपये विशेष भत्ता दिया जाता था जो अब नहीं मिलेगा। खत्म किये गए अन्य भत्ते विभाग विशेष से संबंधित हैं।

सूत्रों की मानें तो जब सरकार ने इन भत्तों को स्थगित करने का फैसला किया था, वित्त विभाग ने तभी इन्हें खत्म करने का प्रस्ताव किया था, लेकिन सरकार ने उस समय आहिस्ता चलो की नीति अख्तियार करते हुए इन्हें एक साल के लिए मुल्तवी करने का फैसला किया था। अवर अभियंताओं के विशेष भत्ते और लोक निर्माण व सिंचाई विभागों के कार्मिकों से संबंधित भत्तों को खत्म करने का प्रस्ताव एक बार पहले भी कैबिनेट के सामने रखा गया था लेकिन तब सरकार ने ऐसा निर्णय लेने से परहेज किया था।

इन भत्तों को खत्म करने का फैसला

  • नगर प्रतिकर भत्ता
  • सचिवालय भत्ता
  • पुलिस विभाग के अपराध शाखा, अपराध अनुसंधान विभाग (सीबीसीआइडी), भ्रष्टाचार निवारण संगठन, आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग, सतर्कता अधिष्ठान, अभिसूचना विभाग, सुरक्षा शाखा और विशेष जांच शाखा में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों को स्वीकृत विशेष वेतन
  • अवर अभियंताओं को स्वीकृत विशेष भत्ता
  • लोक निर्माण विभाग में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों को दिया जाने वाला रिसर्च भत्ता, अर्दली भत्ता और डिजाइन भत्ता
  • सिंचाई विभाग में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों को दिया जाने वाला इन्वेस्टिगेशन एंड प्लानिंग भत्ता और अर्दली भत्ता

स्थगित भत्तों को हमेशा के लिए समाप्त करना कर्मचारियों के साथ धोखा

छह भत्तों को हमेशा के लिए समाप्त किए जाने को कर्मचारियों ने अपने साथ धोखा बताया है। उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्रा ने भत्ते समाप्त करने पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि यह सरासर नाइंसाफी है। जिन भत्तों को स्थगित किया गया था उन्हें हमेशा के लिए खत्म कर दिया गया। कोरोना जैसी आपदा के समय जब सभी कर्मी जी-जान से मेहनत कर रहे हैं, उस समय राज्य सरकार द्वारा ऐसा निर्णय लेना हत्तोत्साहित करने वाला है। इसके विरोध में आंदोलन होगा।

उधर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि राज्य सरकार कर्मचारियों के साथ ऐसा अन्याय करेगी, ऐसा किसी ने सोचा नहीं था। हर कर्मी इस समय कोरोना महामारी के बीच जैसे-तैसे हर संभव सरकार की मदद ही कर रहा है। फिलहाल भत्ते समाप्त करना उचित नहीं है, राज्य सरकार अपने निर्णय को वापस ले, वरना अब कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे।