कम सोने वाले वयस्कों में अस्थमा का कारण बन सकती है नींद की कमी

न्यूयॉर्क।  यह बात तो लगभग सभी जानते हैं कि रात में अच्छी नींद से हमारे कई विकार खुद-ब-खुद ही दूर हो जाते हैं, पर नींद की कमी और कभी-कभार अत्यधिक नींद वयस्कों को अस्थमा से प्रभावित कर सकती है। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। अमेरिका की पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी से इस अध्ययन के प्रमुख लेखक फेथ लुइस्टर ने कहा, ‘पिछले अध्ययन से पता चलता है कि किशोरों में अस्थमा के लक्षणों पर खराब नींद की गुणवत्ता का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लेकिन हमारा अध्ययन बताता है कि वयस्कों में भी बहुत कम या कभी-कभी बहुत अधिक नींद से अस्थमा होने की आशंका रहती है।’

उन्होंने कहा कि अध्ययन में यह बात सामने आई है कि सामान्य नींद लेने वाले लोगों के मुकाबले कम या ज्यादा सोने वालों में उन लोगों का अनुपात अधिक था, जिन्होंने पिछले वर्ष में अस्थमा का दौरा पड़ने की सूचना दी थी। यह अनुपात क्रमश: 45 प्रतिशत बनाम 59 और 51 प्रतिशत था। शोधकर्ताओं के मुताबिक, ऐसे लोगों के खराब शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के कारण उनके जीवन की गुणवत्ता भी खराब हो गई थी।

ऐसे किया अध्ययन: एनल्स ऑफ एलर्जी, अस्थमा एंड इम्यूनोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए शोध टीम ने 1389 वयस्कों का सर्वेक्षण किया, जो 20 वर्ष और उससे अधिक उम्र के थे जिन्होंने अस्थमा होने की सूचना दी थी। शोधकर्ताओं ने कहा कि पूरे समूह में एक दिन में 25.9 फीसद लोग पांच घंटे या उससे कम समय के लिए सोते थे, 65.9 फीसद लोग छह से आठ घंटे और 8.2 फीसद लोग नौ और उससे ज्यादा घंटे तक सोते थे। उन्होंने कहा कि अध्ययन में यह बात सामने आई कि सामान्य नींद लेने वाले लोगों की तुलना में कम सोने वालों को अस्थमा के दौरे, सूखी खांसी और रात भर अस्पताल में भर्ती करने की संभावना अधिक थी।

सुव्यवस्थित जीवनशैली अपनाने की है जरूरत : शोधकर्ताओं ने कहा कि भाग-दौड़ भरी ंजदगी में खुद को फिट रखना सबसे बड़ी चुनौती है। यदि अच्छा जीवन जीना है तो हमें व्यवस्थित जीवनशैली अपनानी होगी और खानपान पर भी विशेष ध्यान देना होगा। इसके अलावा शारीरिक व्यायाम और ध्यान-योग आदि से भी बहुत लाभ मिल सकता है।