मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन बोले, 4 दिन बाद भी केंद्र से नहीं मिली चार्टर्ड प्लेन की अनुमति

रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक बार फिर दोहराया है कि प्रवासी श्रमिकों को लाने के लिए हवाई जहाज का भी इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से आग्रह किया गया था, लेकिन चार दिन बीतने के बाद भी इस संबंध में कोई दिशानिर्देश नहीं मिला है। मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को 12 मई को पत्र लिखकर अनुमति मांगी थी कि पोर्ट ब्लेयर में 319 प्रवासी मजदूर फंसे हैैं। उन्हें लाने के लिए बंगलुरू से दो चार्टर्ड प्लेन भेजना है

केंद्र सरकार तत्काल इसके लिए अनुमति दे लेकिन अभी तक अनापत्ति नहीं मिल पाई है। उन्होंने यह भी कहा कि बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों में पैदल चल रहे मजदूरों की हालत देखते हुए झारखंड में अफसरों को यह स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि अगर कोई पैदल सफर करते दिखे तो तत्काल ऐसे लोगों को घर भिजवाने की व्यवस्था की जाय।

कहा कि दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों को लाने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इसके लिए सभी जरूरी संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। विशेष ट्रेनों और बसों से प्रवासी श्रमिकों, विद्याॢथयों और अन्य लोगों को वापस लाने का सिलसिला लगातार जारी है और यह प्रक्रिया तब तक चलेगी जब तक सभी प्रवासी श्रमिक सुरक्षित घर नहीं आ जाते हैं।

केंद्र के राहत पैकेज में गरीबों के लिए कुछ नहीं

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि केंद्र सरकार के राहत पैकेज में गरीबों के लिए कुछ भी नहीं है। केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है लेकिन इससे गरीबों को कुछ नहीं मिलता दिख रहा है। केंद्र सरकार ने अपने खजाने से एक रुपया भी नहीं दिया है। वास्तव में यह कोई आॢथक मदद नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को आयकर में छूट देना चाहिए, लोगों को कर्ज पर मिलने वाले ब्याज में कमी करनी चाहिए ताकि राहत मिल सके। केंद्र सरकार ने गरीबों को मुफ्त राशन देने की घोषणा की है, जबकि यह पहले से लागू है। इसमें कुछ नया नहीं है। केंद्र ने हमारा ही पैसा हमें जल्द देने की बात कही है। यह पैसा जीएसटी और आयकर के अंश के रूप में मिलता है। कहा कि राहत पैकेज की आवाज तेज तो आई लेकिन यह बेअसर दिख रही है।