दूसरे देशों के मुकाबले भारत में कोरोना की धीमी गति, एक लाख की जनसंख्या में औसतन हो रही 0.2 मौत

नई दिल्ली। भारत भले ही एक लाख कोरोना केस वाला दुनिया का 11वां देश बन गया हो, लेकिन यहां तक पहुंचने में भारत में दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में अधिक समय लगा है। यही नहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पूरी दुनिया में कोरोना से तीन लाख 20 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जो प्रति एक लाख जनसंख्या में औसतन 4.1 बैठता है। वहीं भारत में 3,163 मौत हुई है, जो प्रति एक लाख जनसंख्या पर 0.2 है। कुल संक्रमित व्यक्तियों में भी मौत का प्रतिशत भारत में 3.1 फीसदी है, जबकि दुनिया में यह औसत दोगुने से भी ज्यादा 6.8 फीसदी है।

विभिन्न देशों में कोरोना के कारण प्रति एक लाख जनसंख्या पर मरने वालों पर स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक अमेरिका में एक लाख की जनसंख्या पर 26.6, ब्रिटेन में 52.1, इटली में 52.8, फ्रांस में 41.9, स्पेन में 59.2 और बेल्जियम में 79.3 लोगों की मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कोरोना की संक्रमित की जल्द पहचान और बेहतर इलाज की बदौलत भारत इसे 0.2 तक सीमित रखने में सफल रहा। बात सिर्फ प्रति एक लाख जनसंख्या पर हुई मौतों का ही नहीं है। इलाज के बाद भारत में अस्पताल से इलाज के बाद स्वस्थ्य होकर बाहर आने वालों मरीजों की संख्या 93 फीसदी है। केवल सात फीसदी मरीजों की मौत हुई है। जबकि पूरी दुनिया में औसतन 85 फीसदी मरीज ही स्वस्थ्य होकर अस्पताल से बाहर आ रहे हैं। कुल केस में भी भारत में स्वस्थ्य होने वाले मरीजों की संख्या 38.73 पहुंच गई है।

एक लाख का आंकड़ा पार करने वाला 11वां देश बना भारत

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार एक लाख संक्रमित का आंकड़ा पार करने वाला 11 वां देश बनने वाला भारत टेस्टिंग के मामले में पूरी दुनिया में छठे नंबर है। भारत अभी तक 24 लाख से अधिक टेस्ट कर चुका है। सबसे बड़ी बात यह है कि टेस्टिंग के अनुपात में पोजेटिव मरीजों की संख्या भारत में दुनिया के दूसरे देशों से काफी कम है। भारत में औसतन 25 टेस्ट करने पर एक कोरोना पोजेटिव मिल रहा है। जबकि दुनिया के दूसरे में बहुत कम टेस्ट पर ही एक मरीज मिल रहा है। अमेरिका में औसतन 7.8, ब्रिटेन में 7.7, जापान में 15.3 टेस्ट में एक कोरोना पोजेटिव पाये जाते हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि समय पर लगाए गए लॉकडाउन और अन्य कदमों के कारण भारत में कोरोना न तो दुनिया के दूसरे देशों की तरह तेजी से प्रसार हो पाया और न ही यह उतना खतरनाक साबित हुआ। उनके अनुसार पहले केस से लेकर एक लाख केस तक पहुंचने में भारत में 111 दिन लगे, जबकि अमेरिका में 67 दिन, रूस में 91 दिन, स्पेन में 62 दिन, ब्रिटेन में 79 दिन, इटली में 60 दिन, जर्मनी में 70 दिन और फ्रांस में 76 दिन लगे थे।