Vande Bharat Mission: बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर स्वदेश लौटने को तैयार

नई दिल्ली। देश के महानगरों व बड़े शहरों से गांवों की तरफ लौटने वाले प्रवासी मजदूरों के साथ ही विदेश में काम करने वाले भारतीय श्रमिक भी बड़ी संख्या में स्वदेश लौटने को बेताब हैं। विदेश मंत्रालय की तरफ से चलाये जा रहे वंदे भारत मिशन के तहत अभी तक जितने प्रवासी भारतीयों ने पंजीयन करवाया है उसमें 28 फीसद कामगार या श्रमिक हैं। इनमें से ज्यादातर खाड़ी क्षेत्र में कार्यरत श्रमिक हैं जिनका रोजगार छिन चुका है। अभी तक 2.59 लाख लोगों ने पंजीयन करवाया है जबकि गुरुवार तक 23,475 लोगों को वापस लाया जा चुका है। बाहर से आने वाले इतने सारे लोगों ने पंजीयन करवाया है कि उन्हें स्वदेश लाने की योजना बनाने वाले अधिकारियों के भी पसीने छूट रहे हैं।

13 जून तक चलेगा वंदे भारत मिशन का दूसरा चरण 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव का कहना है कि, 16 मई से वंदे भारत मिशन का दूसरा चरण शुरू किया गया है जो 13 जून तक चलेगा। दूसरे चरण में हम 47 देशों से 162 उड़ानें स्वदेश लाएंगे। लेकिन मांग इतनी ज्यादा है कि अब फ्रैंकफर्ट को एक हब के तौर पर बनाने पर विचार किया जा रहा है। यानी लोगों को वहां लाया लाकर रोका जाए और फिर वहां से भारत। क्योंकि गुरुवार तक 98 देशों से 2,59,001 लोगों ने भारत आने के लिए पंजीयन करवाया है। इसमें 28 फीसद कामगार, 25 फीसद विद्यार्थी, 14.5 फीसद प्रोफेशनल्स व 7.6 फीसद पर्यटक वगैरह हैं जो कई देशों में फंसे हुए हैं। इसके अलावा चिकित्सा वजहों से भी हजारों लोगों ने भारत लौटने की मंशा जताई है।”

खाड़ी से आने वाले उड़ानों में बेरोजगार हुए श्रमिक ज्यादा

मंत्रालय की अभी जो तैयारी है उसे देखते हुए ऐसा लग रहा है कि तीन-चार महीनों तक इस मिशन को चलाना पड़ सकता है। अभी लंबी दूरी यानी 7-8 घंटे से ज्यादा के उड़ानों में चिकित्सा वजहों से भारत लौटने वाले या बुजुर्गो को सबसे ज्यादा तरजीह दी जा रही है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी वरीयता के तौर पर लिया जा रहा है। अभी तक 8700 से ज्यादा गर्भवती महिलाओं ने भारत लौटने के लिए पंजीयन करवाया है, जिन्हें कई वजहों से भारत लाना जरुरी माना जा रहा है। इसके साथ ही ऐसे श्रमिक जिनका रोजगार छिन चुका है, उन्हें भी तरजीह दी जा रही है। खाड़ी से आने वाले उड़ानों में बेरोजगार हुए श्रमिक ज्यादा आ रहे हैं।