चर्चा में झारखंड के CM हेमंत सोरेन, किसी ने की सराहना तो कुछ ने बताया प्रचार पाने का हथकंडा

रांची। देश के सुदूर इलाके लद्दाख और उत्तर-पूर्वी राज्यों में फंसे झारखंड के प्रवासी मजदूरों को चार्टर्ड प्लेन से लाने की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कवायद ने उन्हें फिर से एक बार चर्चा में लाया है। इससे पूर्व बीते साल के अंतिम सप्ताह में उन्होंने झारखंड चुनाव में सत्ताधारी भाजपा को परास्त कर सबका ध्यान खींचा था। गुरुवार को उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर प्रवासी मजदूरों को एयर लिफ्ट की अनुमति मांगी तो इसपर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई।

फैसले की सराहना बड़े पैमाने पर की गई, हालांकि कुछ आलोचकों ने इसे प्रचार पाने का हथकंडा भी बताया। दरअसल कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला थम नहीं रहा है। हेमंत सोरेन ने इनके प्रति आरंभ से सकारात्मक फैसले लिए।

जब देश के अन्य हिस्सों में पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर मिली तो उन्होंने आदेश जारी कर राज्य में पैदल चलने पर रोक ही नहीं लगाई, बल्कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर हर 20 किलोमीटर के अंतराल पर सामुदायिक किचन की व्यवस्था की और मजदूरों को बसों के जरिए गंतव्य तक भिजवाया। मजदूरों को लाने के लिए हवाई जहाज का इस्तेमाल करने का दावा उन्होंने शुरुआती दिनों में किया था तो राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने इसकी खिल्ली उड़ाई थी, लेकिन गृहमंत्रालय से इस बाबत अनुमति के लिए उनके स्तर से हो रही कवायद उनकी गंभीरता को दर्शाता है।

सबसे पहले प्रवासियों को लाने के लिए उठाई थी ट्रेन की मांग

केंद्र सरकार ने आरंभ में प्रवासियों को लाने के लिए बसों के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसका प्रतिवाद किया था। उन्होंने केंद्र सरकार को स्पष्ट किया कि कम दूरी वाले स्थानों से बसों के जरिए लोगों को लाया जा सकता है, लेकिन सुदूर इलाकों से लोगों को लाने के लिए ट्रेन चाहिए। उस वक्त इसकी व्यावहारिकता पर सवाल खड़े किए थे, लेकिन जब तेलंगाना के लिंगमपल्ली से हटिया के लिए पहली ट्रेन रवाना हुई तो हलचल मची। आनन-फानन में बिहार समेत अन्य राज्यों ने झारखंड मॉडल को अपनाते हुए प्रवासी मजदूरों को लाने की प्रक्रिया आरंभ की।

झामुमो को निशाना साधने का मौका

कोरोना संकट काल में श्रेय की राजनीति भी जोरों पर है। पहले ट्रेनों की उपलब्धता को लेकर खूब रस्साकशी हुई। भाजपा ने राज्य सरकार पर आरोप लगाए तो सत्ताधारी झामुमो ने पलटवार किया। 200 नई ट्रेनों के परिचालन में झारखंड के हिस्से कुछ नहीं आया तो भी भाजपा बैकफुट पर नजर आई।

हवाई जहाज के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र मांगने के बावजूद देरी को भी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मुद्दा बनाते हुए चर्चा के लिए उछाला है। झामुमो की ओर से जारी बयान में कहा गया कि देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में फंसे झारखंडियों को लाने के लिे हेमंत सरकार लगातार केंद्र से हवाई जहाज के लिए एनओसी की मांग कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार लगातार ये मांग नजरंदाज कर रही है। उम्मीद है कि जल्द सरकार को अनुमति मिलेगी ताकि प्रवासी बंधु सुरक्षित अपने घर पहुंच सकेंगे।