स्कूलों ने कहा :
- दो माह का बस शुल्क नहीं लेंगे, नहीं बढ़ाएंगे कोई बोझ, ड्रेस भी वही रहेगी
- देर से भुगतान पर कोई फाइन नहीं, तीन माह के बदले प्रत्येक माह लेंगे शुल्क
- ट्यूशन शुल्क माफ करना मुश्किल, इसी से करते हैं वेतन का भुगतान
मंत्री बोले :
- मैंने रियायत की अपील की लेकिन उसे ठुकरा दिया गया, लगा मेरा मंत्री बनना बेकार
- री एडमिशन की राशि दूसरे नाम से वसूली जाती है, इसके प्रमाण हैं मेरे पास
- स्कूल इस विवाद को खत्म करें, समाज में अच्छा मैसेज नहीं जा रहा
रांची। Private Schools Fee Waiver लॉकडाउन अवधि का शुल्क माफ करने को लेकर निजी स्कूलों के प्राचार्यों के साथ शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की बुधवार को हुई बैठक बेनतीजा रही। इस दौरान मंत्री का दर्द झलका। उन्होंने कहा कि मेरा मंत्री बनना बेकार है। मंत्री ने कई मौकों पर कहा था कि निजी स्कूल लॉकडाउन के दौरान ट्यूशन फीस नहीं लें, बात न मानने वालों पर कार्रवाई की बात भी कही थी लेकिन बेफिक्र निजी स्कूल के प्राचार्यों ने बैठक में दो टूक कह दिया कि ट्यूशन फीस में रियायत देना उनके लिए संभव नहीं। हालांकि निजी स्कूलों ने बैठक में इसपर सहमति दी कि वे दो माह का बस शुल्क नहीं लेंग
साथ ही कोई भी शुल्क नहीं बढ़ाएंगे। ट्यूशन फीस के मसले पर प्राचार्यों की मुख्य सचिव के साथ एक और बैठक होगी, जिसमें निजी स्कूलों के अलावा अभिभावकों के प्रतिनिधिमंडल भी रहेंगे। बैठक में निजी स्कूलों की ओर से बातें रखते हुए सीबीएसई सहोदया के अध्यक्ष सह डीपीएस स्कूल के प्राचार्य डा. राम सिंह ने कहा कि सभी निजी स्कूल दो माह का बस शुल्क नहीं लेने को तैयार हैं।
स्कूल फीस में भी कोई बढ़ोतरी नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि मंत्री की अपील के बाद सभी स्कूलों ने बैठक कर निर्णय लिया कि सभी स्कूल तीन माह के एकमुश्त शुल्क के बदले अब प्रतिमाह शुल्क लेंगे तथा ड्रेस, किताब आदि नहीं बदलेंगे। लेकिन ट्यूशन शुल्क नहीं लेने पर यह सफाई दी कि स्कूलों के पास कोई अपना फंड नहीं होता। इसी शुल्क से शिक्षक व अन्य स्टाफ का वेतन भुगतान करते हैं। यह भी कहा कि कई अभिभावक ऐसे हैं जो शुल्क देने में पूरी तरह सक्षम हैं।
जो अभिभावक सही में शुल्क देने में सक्षम नहीं हैं तो वे प्रबंधन से मिलें तो कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा। निजी स्कूलों ने यह भी भरोसा दिलाया कि यदि कोई अभिभावक समय पर शुल्क का भुगतान नहीं करते हैं तो अगले तीन माह से उनसे कोई विलंब शुल्क भी नहीं लिया जाएगा। यह भी कहा कि शुल्क नहीं देने पर किसी बच्चे को शिक्षा से वंचित नहीं किया जाएगा। बैठक में विधायक शशिभूषण मेहता के अलावा रांची के कई बड़े स्कूलों के प्राचार्य के अलावा जमशेदपुर, बोकारो, रामगढ़ आदि के स्कूलों के प्राचार्य भी शामिल हुए।
मंत्री का दर्द
बैठक में शिक्षा मंत्री का दर्द भी झलका। कहा कि उन्होंने मानवता के आधार पर निजी स्कूलों से लॉकडाउन अवधि का शुल्क नहीं लेने की अपील की थी। लेकिन उन्हें महसूस हुआ कि निजी स्कूलों ने उनकी अपील को ठुकरा दिया। ऐसे में उन्हें यह लगने लगा कि उनका शिक्षा मंत्री बनना बेकार है। मंत्री ने यह भी कहा कि निजी स्कूल री एडमिशन की राशि दूसरे नाम से वसूलते हैं। उनके पास इसका प्रमाण भी है। शिक्षा के क्षेत्र में उंगली नहीं उठनी चाहिए।
बताया कि उनके भी पांच कॉलेज संचालित हैं, लेकिन वे पैसा नहीं लेते। यह भी कहा कि किसी भी स्कूल में बीपीएल कोटे के तहत 25 फीसद सीटों पर नामांकन नहीं होता। बैठक में निजी स्कूलों ने कहा कि सरकारी स्कूलों के एक बच्चे पर चार हजार रुपये प्रतिमाह सरकार खर्च करती है। इसपर मंत्री ने कहा कि चार हजार रुपये नहीं, सरकार एक बच्चे पर 20 हजार रुपये खर्च करती है, क्योंकि इसमें मिड डे मील, किताब-कॉपी, ड्रेस सभी शामिल होते हैं। मंत्री ने कहा कि निजी स्कूल अब इस विवाद को खत्म करें क्योंकि इससे अच्छा संदेश नहीं जा रहा है।
न तो रोकेंगे वेतन न हीं काटेंगे : स्कूल
स्कूलों ने लॉकडाउन में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने की जानकारी देते हुए कहा कि शिक्षक अपना काम छोड़कर इसमें पूरे मन से लगे हैं। यह भी कहा कि निजी स्कूल न तो अपने शिक्षक या अन्य स्टाफ का वेतन रोकेंगे न ही उनके वेतन में कोई कटौती करेंगे।