आजमगढ़ : जनपद में कभी भी हो सकता है टिड्डी दल का हमला, किसान रहे सावधान,प्रशासन से करें सम्पर्क

आजमगढ़ 02 जून– जिला कृषि रक्षा अधिकारी डाॅ0 उमेश कुमार गुप्ता ने बताया है कि राजस्थान एवं मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश के जनपद मथुरा, आगरा, झांसी, ललितपुर सोनभद्र एवं मिर्जापुर जनपदों में टिड्डी दल का प्रवेश हो चुका था। जिसको जिला प्रशासन कृषि विभाग एवं कृषक बन्धुओं के सहयोग से मारा और भगाया जा चुका है, लेकिन मांह जुलाई तक इनके प्रभाव से नुकसान पहुंचने की सम्भावना बनी रहेगी। अपने जनपद में कही-कही गन्ने, मक्का एवं चरी के खेतों में ग्रासहाॅपर कीट के प्रकोप से नुकसान पहुचायां जा रहा है। जो लगभग टिड्डी के समान होते है लेकिन इनका आकार छोटा होता है। इसके नियंत्रण के लिये कृषक भाई एजाडीरेक्टीन (नीम आॅयल) 1.50 से 2.00 ली0 अथवा क्लारोपायरीफाॅस 20 प्रतिशत ई0सी0 को 1.25 ली0 मात्रा प्रति हेक्टेयर 600 से 700 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़कांव करें तथा वर्तमान में चल रहे टिड्डी आक्रमण के सम्बन्ध में निम्न प्रकार से बताया जा रहा है।
उन्होने जनपद के किसान बन्धुओं को अवगत कराया है कि टिड्डी दल एक साथ लाखांे की संख्या में गमन करते है। जिस क्षेत्र में इनका आक्रमण होता है वहाॅ के क्षेत्र की हरियाली चट कर विरान कर देते है। इस कीट की वयस्क टिड्डियाॅ हवा की दिशा में एक दिन में 100 से 150 कि0मी0 की दूरी तय कर लेती है। टिड्डी दल प्रायः सूर्यास्त के समय किसी न किसी पेड़ पौधों पर सूर्योदय होने तक आश्रय लेते है। आश्रय के समय ही समस्त वनस्पतियों को आर्थिक नुकसान पहुॅचाते है। एक मादा टिड्डी भूमि में 500 से 1500 अण्डे देकर सुबह उड़ जाती है। इनके नियन्त्रण के लिये संस्तुत रसायनों के छिड़काव का सबसे उपयुक्त समय रात्रि 11ः00 बजे से सुबह 9ः00 बजे तक होता ळें
उन्होने बताया कि टिड्डी दल को खेतों के आस-पास दिखाई देते ही किसान भाई टोलियाॅ बनाकर सायं काल के समय थाली, ढोल, नगााड़े, घण्टियां, डी0जे0 एवं पटाखे आदि की तेज आवाज करके इनको भगा सकते है। प्रकाश प्रपंच का प्रयोग कर भी टिड्डियों को एकत्रित करके नष्ट किया जा सकता है। टिड्डी दल के आकाश में दिखाई देने पर घास-फूस जलाकर धूआॅ करें। टिड्डी दल के आक्रमण के पश्चात कीटनाशक उपलब्ध न होने की दशा में टैªक्टर चालित पावर स्प्रेयर के द्वारा पानी की तेज बौछार से भी इन्हे भगाया जा सकता है। इसके नियंत्रण के लिये कृषक भाई एजाडीरेक्टीन (नीम आॅयल) 1.50 से 2.00 ली0 प्रति हेक्टेयर 600 से 700 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़कांव करें।
टिड्डियों का प्रकोप होने पर क्लोरपायरीफाॅस 20 प्रतिशत ई0सी0 1200 मिली0, लेम्डा साइहेलोथ्रीन 5 प्रतिशत ई0सी0 400 मिली0 या बेन्थियों कार्ब 80 प्रतिशत 125 ग्रा0, 500 ली0 पानी में प्रति हे0 की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें या फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत अथवा मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल 20 से 25 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह पत्तियों पर ओस देखकर बुरकाव करें, साथ ही साथ राख का बुरकाव करके भी क्षति को कम किया जा सकता है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी द्वारा समस्त कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों को निर्देशित किया गया कि टिड्डी दल की स्थिति पर निगरानी रखें तथा नामित नोडल अधिकारी से निरन्तर सम्पर्क बनायें रखें, साथ ही साथ किसानों को सलाह देते समय इस बात को अवश्य बतायें कि सब्जियों पर नियंत्रण के लिये रसायन का प्रयोग करने से बचें। टिड्डी दल के खेत में बैठने के उपरान्त उनके अण्डो को नष्ठ करने हेतु खेत की गहरी जुताई कर दें।
टिड्डी दल के आक्रमण होने की सूचना ग्राम प्रधान, लेखपाल कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों एवं ग्राम पंचायत अधिकारी के माध्यम से कृषि विभाग अथवा जिला प्रशासन तक तत्काल पहुचायें। इनके आक्रमण की दशा में जनपद स्तर पर बने कन्ट्रोल रुम मोबाइल नं0 9919588753 एवं 9450809578 पर जानकारी उपलब्ध करायें। या क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन केन्द्र, लखनऊ के फोन नं0 0522-2732063 अथवा अपर निदेशक कृषि रक्षा लखनऊ को फोन नं0- 0522-2205868 पर भी सूचित कर सकते है।