*TV 20 NEWS || AZAMGARH: मदरसा बोर्ड कामिल और फाजिल की डिग्री नहीं दे सकते, दाखिला ले चुके 1000 छात्रों का भविष्य अधर में*
आजमगढ़। मदरसों में पढ़ने वाले कामिल और फाजिल के 1000 छात्रों के समायोजन पर कोई निर्णय न होने से जिले के हजारों छात्रों का भविष्य अधर में है। उन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है। वहीं, मदरसा बोर्ड के निर्देश के बाद मुंशी, मौलवी और आमिल के छात्रों का बोर्ड का फॉर्म भरा जा रहा है।
जनपद में मान्यता प्राप्त 66 मदरसों में मुंशी, मौलवी, आमिल, कामिल और फाजिल की शिक्षा दी जाती है। इन मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को परीक्षा पास करने के बाद मदरसा बोर्ड की ओर से मुंशी, मौलवी (हाईस्कूल), आलिम (इंटरमीडिएट ), कामिल (स्नातक) और फाजिल (परास्नातक) की डिग्री दी जाती थी। पांच नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 को वैध बताते इस अधिनियम को संविधान के खिलाफ बताने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसे कामिल, फाजिल जैसी उच्च शिक्षा की डिग्री नहीं दे सकते। यह यूजीसी अधिनियम के विपरीत और असंवैधानिक है। कोर्ट के फैसले के डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी कामिल और फाजिल के छात्रों पर किसी प्रकार का निर्णय नहीं हो पाया है। पिछले वर्ष 3670 छात्र मुंशी, मौलवी, आमिल, कामिल और फाजिल की परीक्षा में शामिल हुए थे। इसमें लगभग एक हजार परीक्षार्थी कामिल व फाजिल के थे। कोर्ट के फैसले के बाद मुंशी, मौलवी, आमिल के छात्रों का मदरसा बोर्ड का फॉर्म भरा जा रहा है। कामिल व फाजिल के छात्रों पर अभी कोई निर्णय नहीं हो पाया है।मुबारकपुर में आठ मदरसे हैं जहां कामिल और फाजिल की पढ़ाई होती थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद उनकी पढ़ाई पर रोक लगा दी गई है। सभी छात्रों को लखनऊ यूनिवर्सिटी से संबद्ध करने की पैरवी चल रही है, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हो सका है। इससे कामिल और फाजिल के छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
मौलाना कैसर आजमी, प्रधानाचार्य, मदरसा सेराजुल ओलूम नेवादा
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पहले मदरसा बोर्ड ही सबको मार्कशीट देता था। कामिल और फाजिल की स्नातक और परास्नातक की डिग्री है। उच्च शिक्षा की डिग्री मदरसा बोर्ड नहीं दे सकता। मुंशी, मौलवी और आमिल के छात्र मदरसा बोर्ड का फॉर्म भर रहे हैं। कामिल और फाजिल के छात्रों के भविष्य को देखते हुए प्रदेश सरकार को जल्द निर्णय लेना चाहिए।
– अबू होजैफा, प्रधानाचार्य मदरसा जियाउल इमान कुरियावां।
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मदरसा बोर्ड के निर्देश के बाद मुंशी, मौलवी और आमिल के छात्रों का बोर्ड फॉर्म भरा जा रहा है। कामिल और फाजिल के छात्रों के संबंध में ऊपर से अभी तक कोई आदेश नहीं आया है। जैसा निर्देश आएगा आगे की कार्रवाई की जाएगी।
– वर्षा अग्रवाल, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी।